बिहार की राजनीति में इस वक्त मुखिया और सरपंचों का गुस्सा उबाल पर है। पटना में सैकड़ों की संख्या में जुटे इन जनप्रतिनिधियों ने नीतीश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। विधानसभा चुनाव से पहले यह विरोध प्रदर्शन JDU के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सवाल ये उठ रहा है कि क्या मुखिया और सरपंच मिलकर नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ा देंगे?
मुखिया-सरपंचों की नाराजगी की वजह क्या है?
➡ पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप – मुखिया और सरपंचों का कहना है कि सरकार ने ग्राम पंचायतों के अधिकार छीन लिए हैं।
➡ फंड और योजनाओं पर रोक – इन जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि सरकार योजनाओं के लिए फंड नहीं दे रही, जिससे विकास कार्य ठप हो गए हैं।
➡ वेतन और भत्तों में कटौती – मुखिया और सरपंचों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती कर दी गई है, जिससे वे नाराज हैं।
➡ DM और अधिकारियों की मनमानी – मुखियाओं का आरोप है कि अधिकारियों की मनमानी बढ़ गई है और उनकी बात सुनी नहीं जा रही।
पटना में क्यों हुआ ‘हल्ला बोल’?
✔ बिहार के विभिन्न जिलों से आए मुखिया और सरपंचों ने पटना में बड़ा प्रदर्शन किया।
✔ वे मुख्यमंत्री से सीधी बातचीत और अपनी मांगों पर ठोस आश्वासन चाहते हैं।
✔ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे विधानसभा चुनाव में सरकार को सबक सिखाएंगे।
क्या JDU को होगा चुनावी नुकसान?
➡ बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में मुखिया और सरपंचों की पकड़ मजबूत होती है।
➡ अगर ये जनप्रतिनिधि JDU के खिलाफ जनता को भड़काते हैं, तो इसका सीधा असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है।
➡ BJP और RJD इस विरोध को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर सकते हैं।
JDU का क्या कहना है?
✔ JDU के प्रवक्ताओं का कहना है कि सरकार पंचायत प्रतिनिधियों की समस्याओं को हल करने के लिए गंभीर है।
✔ उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग राजनीतिक फायदा उठाने के लिए इस मुद्दे को उछाल रहे हैं।
✔ सरकार जल्द ही मुखिया और सरपंचों के साथ बातचीत करेगी।
क्या मुखिया-सरपंच वाकई खेल बिगाड़ सकते हैं?
➡ बिहार में पंचायती राज व्यवस्था बहुत प्रभावी है और गांवों में मुखियाओं का सीधा प्रभाव होता है।
➡ विधानसभा चुनाव में अगर ये जनप्रतिनिधि किसी पार्टी के खिलाफ माहौल बनाते हैं, तो उसका असर वोटिंग पर जरूर पड़ेगा।
➡ ऐसे में यह प्रदर्शन नीतीश कुमार के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
अब आगे क्या?
अब देखना होगा कि सरकार इन नाराज मुखिया और सरपंचों को कैसे मनाती है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो JDU के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
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