राम मंदिर की ईंट रखी, चुनाव लड़े तो हारते रहे, कौन थे कामेश्वर चौपाल? देहांत पर सीएम नीतीश ने जताया दुख


संवाद 


राम मंदिर की नींव में पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का शुक्रवार (07 फरवरी) को देहांत हो गया. उनके देहांत पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने शोक जताया है. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में बोला कि वे एक कुशल राजनेता एवं समाजसेवी थे. कामेश्वर चौपाल राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी भी थे. उनके देहांत से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति हुई है.मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति और उनके परिजनों को दुख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है. कामेश्वर चौपाल ने दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में अंतिम सांस ली है. उनके देहांत के बाद से निरंतर शोक संदेश आ रहे हैं.

कामेश्वर चौपाल सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कमरैल गांव के रहने वाले थे. 

कामेश्वर चौपाल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रहे और विभिन्न पदों पर रहते हुए समाज सेवा में योगदान दिया. 24 अप्रैल 1956 को उनका जन्म हुआ था. इसके बाद मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) से एमए की डिग्री प्राप्त की थी. वे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव भी रहे. 1989 में जब अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया गया, तब विहिप के नेतृत्व में कामेश्वर चौपाल को पहली ईंट रखने का गौरव प्राप्त हुआ. उन्होंने बोला था, "जैसे श्रीराम को शबरी ने बेर खिलाए थे, वैसा ही मान-सम्मान मुझे भी मिला."शिलान्यास के बाद कामेश्वर चौपाल राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गए और बीजेपी में सम्मिलित हो गए. 1991 में उन्होंने बीजेपी से रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. 1995 में बीजेपी से ही बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली. हालांकि 2002 में वे बिहार विधान परिषद के सदस्य बने और 2014 तक इस पद पर रहे. 2014 में बीजेपी ने उन्हें सुपौल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत सके. कहा जाए तो कामेश्वर चौपाल ने कई चुनाव लड़े लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली. वे 2014 में पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के विरुद्ध चुनाव लड़े थे, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. 

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