बिहार में 15 साल पुराने हत्या के एक मामले में JDU विधायक के भाई सतीश पांडेय को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। इस केस में न तो कोई ठोस गवाह सामने आया और न ही कोई पुख्ता सबूत पेश किया गया, जिसके चलते अदालत ने फैसला सुनाते हुए उन्हें निर्दोष करार दिया।
क्या था पूरा मामला?
➡ साल 2009 में बिहार के एक जिले में हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था, जिसमें JDU विधायक के भाई सतीश पांडेय आरोपी बनाए गए थे।
➡ परिवार वालों ने उन पर हत्या करवाने का आरोप लगाया था और केस दर्ज कराया गया था।
➡ मामला कोर्ट में पहुंचा, लेकिन 15 साल की सुनवाई के दौरान एक भी गवाह अदालत में आरोपी के खिलाफ बयान देने नहीं आया।
➡ आखिरकार अदालत ने सबूतों के अभाव में सतीश पांडेय को बरी कर दिया।
कोर्ट का क्या कहना है?
✔ अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रsecution पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई भी मजबूत सबूत पेश नहीं कर सका।
✔ जब कोई गवाह ही सामने नहीं आया, तो आरोपी के खिलाफ कार्रवाई संभव नहीं थी।
✔ लिहाजा, अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
राजनीतिक हलकों में हलचल
➡ JDU खेमे में इस फैसले के बाद राहत की लहर है। पार्टी समर्थक इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।
➡ विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सत्ता के दबाव में केस को कमजोर किया गया।
➡ हालांकि, सतीश पांडेय और उनके परिवार ने कहा कि 15 साल बाद उन्हें इंसाफ मिला है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
✔ विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इस केस में गवाहों को प्रभावित किया गया, जिससे कोई सबूत सामने नहीं आया।
✔ तेजस्वी यादव और RJD ने कहा कि बिहार में कानून सिर्फ नेताओं और उनके करीबियों के लिए बना है, आम आदमी को इंसाफ नहीं मिलता।
✔ हालांकि, JDU ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
अब देखना होगा कि क्या इस मामले में आगे कोई अपील होगी या यह विवाद यहीं खत्म हो जाएगा?
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