बिहार में अंग्रेजों के जमाने का एक पुराना रेलवे ओवरब्रिज आखिरकार ध्वस्त कर दिया गया। यह ओवरब्रिज [स्थान का नाम डालें] में स्थित था और काफी समय से जर्जर हालत में था। इसे गिराने के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, लेकिन फिर भी स्थानीय लोगों में इसे लेकर हलचल बनी रही।
ब्रिटिश शासन में बना था पुल, अब हो रहा था खतरनाक
यह रेलवे ओवरब्रिज ब्रिटिश शासनकाल में बनाया गया था और करीब 100 साल से अधिक पुराना था। समय के साथ इसकी हालत खराब होती गई और इसमें दरारें आने लगीं। कई बार मरम्मत के बाद भी इसे पूरी तरह से सुरक्षित नहीं बनाया जा सका, जिसके चलते प्रशासन ने इसे गिराने का फैसला लिया।
पुल गिराने की प्रक्रिया और सुरक्षा इंतजाम
पुल को [तारीख] को नियंत्रित तरीके से गिराया गया।
रेलवे और जिला प्रशासन की टीम मौके पर मौजूद रही।
पुल गिराने से पहले सुरक्षा घेरा बनाया गया और आसपास के रास्तों को कुछ घंटों के लिए बंद कर दिया गया।
भारी मशीनों का इस्तेमाल कर इस पुल को ध्वस्त किया गया।
स्थानीय लोगों की भावनाएं जुड़ी थीं
यह पुल न केवल परिवहन का एक साधन था, बल्कि स्थानीय लोगों की यादों से भी जुड़ा हुआ था। कई बुजुर्गों ने बताया कि उन्होंने अपने बचपन से इस पुल को देखा था और यह उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा था। हालांकि, बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार का यह फैसला जरूरी था।
नए पुल का होगा निर्माण
रेलवे और राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस पुराने पुल की जगह एक नया और आधुनिक ओवरब्रिज बनाया जाएगा। इस नए पुल के निर्माण से लोगों को बेहतर और सुरक्षित यातायात सुविधा मिलेगी।
आपकी राय?
क्या पुराने ऐतिहासिक पुलों को संरक्षित किया जाना चाहिए या फिर आधुनिकरण के लिए उन्हें ध्वस्त करना सही कदम है? अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
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