आज के इंटरनेट युग में हर तरह की सामग्री महज एक क्लिक की दूरी पर है। लेकिन कई बार लोग यह नहीं समझ पाते कि ऑनलाइन देखी गई कुछ चीजें उन्हें कानूनी मुसीबत में डाल सकती हैं। खासकर जब बात अश्लील वीडियो की हो। क्या केवल अश्लील वीडियो देखना ही जुर्म है? क्या पुलिस ऐसे मामलों में कार्रवाई करती है? आइए जानें इस विषय की सच्चाई।
क्या अश्लील वीडियो देखना गैरकानूनी है?
भारत में अश्लीलता से जुड़े कानून थोड़े जटिल हैं। यहां कुछ मुख्य बातें समझना ज़रूरी है:
वयस्कों के लिए बनी अश्लील सामग्री देखना खुद के लिए अपराध नहीं है, जब तक वह सार्वजनिक रूप से न हो और उसमें कोई अवैध तत्व शामिल न हो।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना, डाउनलोड करना या शेयर करना सख्त अपराध है। आईटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत इसमें कठोर सज़ा का प्रावधान है।
किसी की निजी वीडियो या मॉर्फ की गई (फर्जी बनाई गई) अश्लील सामग्री देखना या शेयर करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
पुलिस कब हस्तक्षेप करती है?
पुलिस तभी हस्तक्षेप करती है जब:
1. किसी ने शिकायत की हो (जैसे किसी का वीडियो वायरल किया गया हो)
2. कोई अवैध या गैरकानूनी सामग्री पाई जाए (विशेषकर बच्चों से जुड़ी अश्लीलता)
3. मामला साइबर क्राइम से जुड़ा हो
4. कोर्ट या जांच एजेंसी द्वारा जांच का आदेश हो
आमतौर पर, कोई व्यक्ति अकेले में क्या देख रहा है, इस पर पुलिस की सीधी निगरानी नहीं होती। लेकिन अगर कोई कंटेंट सोशल मीडिया पर शेयर करता है, या किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, तो यह मामला पुलिस तक जा सकता है।
क्या गूगल या ब्राउज़र हिस्ट्री से पुलिस पकड़ सकती है?
साधारण स्थिति में नहीं। लेकिन अगर पुलिस को कोर्ट का आदेश या शिकायत मिलती है, तो वे गूगल या इंटरनेट सेवा प्रदाता से डेटा मांग सकते हैं। ऐसे मामलों में आपकी हिस्ट्री जांची जा सकती है।
कैसे बचें कानूनी पचड़ों से?
गैरकानूनी और आपत्तिजनक कंटेंट से दूर रहें
किसी की प्राइवेट जानकारी, फोटो या वीडियो बिना अनुमति के शेयर न करें
सार्वजनिक स्थानों या संस्थानों में अश्लील साइट न खोलें
बच्चों के इंटरनेट उपयोग पर निगरानी रखें
अश्लील वीडियो देखना हर स्थिति में अपराध नहीं है, लेकिन कुछ खास स्थितियों में यह गंभीर कानूनी अपराध बन सकता है। इंटरनेट पर संयम और समझदारी के साथ चलना ही आज के समय में सबसे जरूरी है।
साइबर क्राइम और कानूनी जानकारी के लिए पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज