रोहित कुमार सोनू
जब भी भारत में आतंकी हमले होते हैं, अक्सर देखा गया है कि इसके निशाने पर हिंदू श्रद्धालु, धार्मिक स्थल या भारत की सांस्कृतिक एकता होती है। कश्मीर से लेकर पहलगाम तक, मंदिरों से लेकर तीर्थ यात्राओं तक, कई घटनाएं इस सच्चाई को उजागर करती रही हैं।
ऐसा क्यों होता है? विशेषज्ञों के अनुसार, आतंकवादियों का मुख्य मकसद भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को चोट पहुँचाना है। हिंदू धर्म भारत की बहुलता, सहिष्णुता और शांति का प्रतीक है। इसे चोट पहुंचाकर भारत को आंतरिक तौर पर अस्थिर करना आतंकी संगठनों का उद्देश्य रहता है।
पहलगाम जैसे हमले केवल निर्दोष लोगों पर हमला नहीं होते, बल्कि ये भारत की सभ्यता और संस्कृति पर सीधा हमला होते हैं। दुर्भाग्यवश, बार-बार हिन्दू यात्रियों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों को टारगेट बनाना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा लगता है, ताकि समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा किया जा सके।
यह समय है कि पूरे देश को एकजुट होकर आतंकवाद के इस जहर के खिलाफ खड़ा होना चाहिए — चाहे धर्म कोई भी हो। भारत की आत्मा पर हमले का जवाब राष्ट्रीय एकता से ही दिया जा सकता है।
आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई और कठोर रणनीति ही इस चक्र को तोड़ सकती है।
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