बिहार सरकार ने जमीन सर्वे को लेकर एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है, जिससे राज्य के लाखों जमीन मालिकों को बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब जमीन के सर्वेक्षण के दौरान भूमि स्वामित्व को लेकर उत्पन्न होने वाले विवादों को प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा, और इसमें जमीन मालिकों को अनावश्यक कानूनी उलझनों से नहीं गुजरना पड़ेगा।
इस फैसले के तहत जमीन मालिकों को अब दस्तावेज़ों की बार-बार जांच या अपडेशन कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि सरकार द्वारा तय की गई प्रक्रिया के अनुसार डिजिटल रिकॉर्ड को अंतिम रूप देकर लोगों को जमीन पर हक का प्रमाणपत्र मिलेगा।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अनुसार, अब तक हुई सर्वे प्रक्रिया में आम लोगों को दस्तावेज़ों की जटिलताओं के कारण परेशानी उठानी पड़ रही थी। इस नई नीति से न सिर्फ प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि जमीन संबंधित मामलों में भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
नीतीश सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए किसानों और जमीन मालिकों ने इसे 'ऐतिहासिक कदम' बताया है। बिहार के कई जिलों में लोगों ने सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे वर्षों से लंबित भूमि विवाद सुलझ सकेंगे।
सरकार की इस नीति के लागू होते ही उम्मीद की जा रही है कि राज्य में भूमि से जुड़े कामकाज में पारदर्शिता आएगी और आम जनता को न्याय मिलेगा।
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