पटना: 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है और इस बार भी चिराग पासवान अपने तेवरों से एनडीए के भीतर एक बार फिर असहजता की स्थिति पैदा करते नजर आ रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
2020 में जेडीयू को पहुंचाया था नुकसान
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए का हिस्सा रहते हुए भी जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारकर उसे बड़ा नुकसान पहुंचाया था। इसका फायदा बीजेपी को मिला, लेकिन एनडीए के भीतर संतुलन बिगड़ गया।
दलित समाज पर फोकस
अब चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए दलित समाज को एकजुट करने में लगे हैं। हाल के दौर में उन्होंने दलित समुदाय से संवाद और सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू किया है।
एनडीए के भीतर भी बेचैनी
भले ही चिराग एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन उनके बयान और गतिविधियों से जेडीयू और बीजेपी के नेताओं के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग की अलग लाइन एनडीए के वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है।