दरभंगा/मधुबनी, 25 मई 2025: मिथिला क्षेत्र में वट सावित्री व्रत बड़े ही श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। व्रती महिलाओं ने वटवृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना की।
सुबह से ही मंदिरों और वटवृक्ष के पास व्रती महिलाओं की भीड़ देखी गई। पारंपरिक लाल साड़ी, सिंदूर, चूड़ी और पूजा की थाली के साथ महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करती नजर आईं।
पूजा विधि और परंपरा
व्रत करने वाली महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और शाम को वटवृक्ष के चारों ओर कच्चे धागे से 108 बार परिक्रमा करती हैं। पूजा में सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ किया जाता है, जो पति-पत्नी के प्रेम और निष्ठा का प्रतीक है।
लोक रंग और परंपरा
मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय और सहरसा सहित पूरे मिथिला में यह व्रत एक उत्सव की तरह मनाया गया। कई जगहों पर लोक गीतों की प्रस्तुति भी हुई, जिनमें वट सावित्री व्रत की महिमा का वर्णन था।
नई पीढ़ी में भी बढ़ रहा रुझान
इस बार खास बात यह रही कि युवतियों और नवविवाहित महिलाओं में भी इस व्रत को लेकर खासा उत्साह देखा गया। कई ने सोशल मीडिया पर पूजा की तस्वीरें साझा कर परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
धार्मिक आस्था और संस्कृति का यह संगम मिथिला की पहचान है। ऐसे ही लोकपर्वों की खबरों के लिए पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज