परमाणु हथियार संपन्न देश भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान एटमी हथियारों की ओर खींच लिया है। पाकिस्तान की ओर से कई नेताओं ने हाल ही में बेहद गैरजिम्मेदाराना बयान दिए हैं, जिनमें भारत पर परमाणु हमला करने तक की धमकी दी गई है। ऐसे हालातों में एक बड़ा सवाल उठता है—क्या आप जानते हैं कि एक परमाणु बम की कीमत कितनी होती है?
परमाणु बम की लागत: सिर्फ पैसा नहीं, तबाही की कीमत भी
परमाणु हथियारों की लागत केवल पैसों में नहीं मापी जा सकती, क्योंकि इसके पीछे की वैज्ञानिक तकनीक, वर्षों का रिसर्च, संवेदनशील सामग्री, और सुरक्षा उपायों की लागत बेहद जटिल होती है। फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार एक आधुनिक परमाणु बम की अनुमानित लागत 20 से 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर (यानि लगभग 160 से 400 करोड़ रुपये) तक हो सकती है।
खर्च के मुख्य घटक
1. फिशाइल मटेरियल – जैसे कि यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239, जो अत्यंत दुर्लभ और महंगे होते हैं।
2. तकनीकी संरचना – बम की डिजाइन, ट्रिगर मैकेनिज्म, और थर्मोन्यूक्लियर तकनीक बेहद उन्नत होती है।
3. लॉन्च सिस्टम – मिसाइलें, बमवर्षक विमान या पनडुब्बियों से ले जाने की क्षमता तैयार करने में भारी लागत आती है।
4. सुरक्षा व रख-रखाव – ऐसे हथियारों की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए अत्याधुनिक सिस्टम की जरूरत होती है।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा बनाए गए पहले परमाणु बम (मैनहैटन प्रोजेक्ट) की लागत लगभग 2 अरब डॉलर (1940 के दशक के अनुसार) थी, जो आज के हिसाब से 25 अरब डॉलर से अधिक बैठती है।
क्या यह कीमत वाजिब है?
यह सवाल सिर्फ अर्थशास्त्र का नहीं, बल्कि नैतिकता और वैश्विक सुरक्षा का भी है। एक परमाणु हथियार से लाखों लोग पलभर में मारे जा सकते हैं, और पीढ़ियों तक रेडिएशन का असर रहता है। ऐसे में इसकी "कीमत" केवल डॉलर या रुपये में नहीं, बल्कि मानवता की तबाही में मापी जाती है।
जहां एक ओर एटमी ताकत राष्ट्रों की सामरिक शक्ति का प्रतीक है, वहीं इसकी कीमत का असल अंदाजा तब लगता है जब इसके इस्तेमाल की धमकियाँ दुनिया को अनिश्चितता और भय के दौर में ले जाती हैं। ऐसे में जरूरत है कि वैश्विक समुदाय संयम बरते और इस विनाशकारी शक्ति का इस्तेमाल सिर्फ शांति के संतुलन के लिए करे।
दुनिया की सुरक्षा और मानवता के लिए जरूरी है कि परमाणु हथियार धमकी नहीं, जिम्मेदारी बनें।
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