संवाद
बिहार में जमीन की खरीद-बिक्री को लेकर सरकार की ओर से एक बड़ा निर्णय लिया गया है, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से समस्तीपुर जिले में 84,000 से अधिक भूखंडों पर रजिस्ट्री की प्रक्रिया अस्थायी रूप से रोक दी गई है। इस फैसले के बाद से आम जनता दिन-प्रतिदिन संबंधित दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हो गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, समस्तीपुर के निबंधन कार्यालय में भूमि की एक विशेष "रोक सूची" तैयार की गई है, जिसमें वे सभी भूखंड शामिल हैं जिनमें किसी न किसी प्रकार की गड़बड़ी या विवाद पाया गया है। इस सूची में शामिल जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है, जिससे भू-स्वामियों को अपनी जमीन बेचने या स्थानांतरण कराने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
रोक हटवाने के लिए जरूरी है प्रशासनिक अनुमति
सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी भूमि को "रोक सूची" से हटवाने के लिए आंचल अधिकारी, अंचल निरीक्षक और जिला स्तर के पदाधिकारियों की संयुक्त सहमति जरूरी कर दी गई है। साथ ही, निबंधन कार्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक कर दस्तावेज़ों की जाँच भी अनिवार्य की गई है।
इस प्रक्रिया में देरी के कारण न केवल रजिस्ट्री कार्य लंबित हो रहे हैं, बल्कि लोगों के ज़रूरी कार्य जैसे मकान निर्माण, बैंक लोन और संपत्ति हस्तांतरण भी प्रभावित हो रहे हैं।
जनता में आक्रोश, पारदर्शिता की माँग
स्थानीय लोगों का कहना है कि जबतक सही कारणों और स्पष्ट प्रक्रिया की जानकारी नहीं दी जाएगी, तब तक यह निर्णय आम लोगों के लिए परेशानियों का कारण बना रहेगा। कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि दफ्तरों में अनावश्यक विलंब और भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
सरकार की ओर से फिलहाल यह कहा गया है कि यह कदम भूमि विवादों, फर्जीवाड़ा और गैरकानूनी बिक्री को रोकने के लिए उठाया गया है, ताकि भविष्य में भूमि से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और वैधता सुनिश्चित की जा सके।
सरकार से समाधान की अपील
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह जल्द से जल्द एक स्पष्ट गाइडलाइन जारी करे और ऐसी पारदर्शी प्रणाली लागू करे जिससे जिन जमीनों में कोई विवाद नहीं है, उनकी रजिस्ट्री निर्बाध रूप से हो सके।
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संपादक: रोहित कुमार सोनू