पटना –
बिहार की राजनीति में दो नाम – कर्पूरी ठाकुर और लालू प्रसाद यादव – हमेशा एक मिसाल रहे हैं। जहां कर्पूरी ठाकुर अपने सादगीपूर्ण जीवन और सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं, वहीं लालू यादव अपने चुटीले अंदाज और जनसंपर्क कौशल के लिए मशहूर हैं। इन दोनों नेताओं से जुड़ा एक किस्सा है, जो आज भी लोगों के बीच राजनीतिक शुचिता और आपसी सम्मान का उदाहरण माना जाता है।
🔸 कहानी उस समय की है जब...
कर्पूरी ठाकुर बीमार चल रहे थे और विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें जाना था, लेकिन उस दिन उनकी सरकारी गाड़ी समय पर उपलब्ध नहीं हो सकी। ऐसे में उन्होंने एक संदेश भिजवाया युवा विधायक लालू यादव के पास, जिसमें उन्होंने निवेदन किया कि अगर लालू उन्हें अपनी गाड़ी से विधानसभा छोड़ दें तो बड़ी कृपा होगी।
🔸 लालू यादव की प्रतिक्रिया
जैसे ही लालू यादव को यह संदेश मिला, वह बिना देरी किए खुद कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचे, और बड़े ही आदरभाव से उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर विधानसभा ले गए। रास्ते भर वे उनके स्वास्थ्य की चिंता करते रहे और पुराने दिनों की चर्चा भी होती रही।
🔸 यह किस्सा क्यों है खास?
यह घटना उस दौर की है जब राजनीति में शिष्टाचार, वरिष्ठता का सम्मान और व्यक्तिगत संबंधों में आत्मीयता होती थी। यह किस्सा दर्शाता है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद पारस्परिक सम्मान और सहयोग कितना महत्वपूर्ण होता है।
कर्पूरी ठाकुर को लालू यादव अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं, और यह छोटी-सी घटना बताती है कि दोनों नेताओं के बीच कैसा आत्मीय रिश्ता था।