बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। आयोग ने राज्य के 17 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इसका कारण यह है कि इन दलों ने वर्ष 2019 के बाद से कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है, फिर भी ये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत मिलने वाले लाभों का उपयोग कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि:
ये राजनीतिक दल चुनावी गतिविधियों में भाग नहीं ले रहे हैं, फिर भी उन्हें चुनाव चिह्न, टैक्स में छूट, कार्यालय आवंटन जैसे कई लाभ मिल रहे हैं।
आयोग ने इन दलों से सात दिनों के भीतर जवाब मांगा है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो इनके पंजीकरण रद्द या स्थगित किए जा सकते हैं।
क्यों लिया गया ये फैसला?
भारत निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि:
सिर्फ सक्रिय राजनीतिक दलों को ही संवैधानिक सुविधाएं मिलें।
जो दल राजनीतिक प्रक्रिया में भाग नहीं ले रहे, वे सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग न करें।
क्या हो सकते हैं इसके राजनीतिक मायने?
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह कार्रवाई साफ-सुथरे चुनाव और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इससे निष्क्रिय और केवल नाम के लिए पंजीकृत राजनीतिक दलों पर नकेल कसी जाएगी।