बिहार में कांवर यात्रा के 5 प्रमुख मार्ग: श्रद्धा और आस्था से गूंजता है सावन


संवाद 

पटना
सावन का महीना आते ही बिहार में कांवर यात्रा का पवित्र उत्सव शुरू हो जाता है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु नदियों से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए भगवान शिव के प्रसिद्ध धामों तक पहुँचते हैं और उनका जलाभिषेक करते हैं।

बिहार में 5 प्रमुख कांवर यात्रा मार्ग हैं, जहां कांवरिये श्रद्धा और भक्ति के साथ यात्रा करते हैं। आइए जानते हैं इन मार्गों और धामों के बारे में:


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1. अजगैबीनाथ (सुल्तानगंज) से बाबा वैद्यनाथ धाम (देवघर, झारखंड)

यह देश की सबसे प्रसिद्ध कांवर यात्रा मानी जाती है।

श्रद्धालु सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर 105 किमी पैदल चलकर देवघर के वैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं।

मार्ग में बिहार और झारखंड की सीमाएं आती हैं।



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2. पलेजा घाट (सारण) से बाबा गरीबनाथ धाम (मुजफ्फरपुर)

यह कांवर यात्रा उत्तर बिहार में काफी प्रसिद्ध है।

श्रद्धालु गंगा के किनारे स्थित पलेजा घाट से जल लेकर बाबा गरीबनाथ धाम पहुंचते हैं।

यह मार्ग धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक झांकियों से जीवंत रहता है।



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3. गंडक नदी से सिद्धेश्वरनाथ धाम (सीवान)

इस मार्ग से कांवरिये गंडक नदी से जल भरकर सीवान स्थित सिद्धेश्वरनाथ धाम में जल अर्पित करते हैं।

यह यात्रा स्थानीय स्तर पर विशेष महत्व रखती है।



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4. कोसी नदी से धनेश्वरनाथ धाम (सुपौल)

कोसी क्षेत्र में स्थित यह यात्रा पूर्वी बिहार के कांवरियों की आस्था का केंद्र है।

कोसी नदी से जल लेकर सुपौल के धनेश्वरनाथ मंदिर तक कांवर यात्रा की जाती है।



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5. गंडक नदी से ब्रह्मेश्वर नाथ धाम (बेतिया, पश्चिम चंपारण)

इस क्षेत्र में गंडक नदी से जल भरकर कांवरिये ब्रह्मेश्वर नाथ धाम पहुंचते हैं।

सावन में यहां मेला जैसा माहौल रहता है।



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सुरक्षा और सुविधा के इंतजाम

राज्य सरकार ने सभी प्रमुख मार्गों पर कांवरियों के लिए स्वास्थ्य शिविर, पेयजल, शौचालय, विश्राम स्थल, और सुरक्षा बलों की तैनाती का निर्देश दिया है। कई मार्गों पर ड्रोन से निगरानी और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है।




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