पटना/बिहार: बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल तेज है, और अभी तक राजद या महागठबंधन का आधिकारिक चुनावी घोषणा पत्र भले ही जारी नहीं हुआ है, लेकिन तेजस्वी यादव और कांग्रेस की ओर से सरकार बनने पर बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार इन वादों को पहले ही निशाने पर ले रही है और एक-एक कर पलटवार कर रही है।
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🧾 तेजस्वी-कांग्रेस के प्रमुख वादे:
तेजस्वी यादव: 10 लाख सरकारी नौकरियों की गारंटी, युवाओं के लिए रोजगार मेगा योजना, पिछड़ों-अतिपिछड़ों को विशेष लाभ।
कांग्रेस: पटना में महा रोजगार मेला, महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण योजना, गरीबों को मुफ्त इलाज।
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🏛️ नीतीश सरकार का जवाबी एक्शन:
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया तेज: नीतीश कुमार ने हाल ही में आदेश दिया कि शिक्षकों की नियुक्ति परीक्षा जल्द आयोजित की जाए।
फ्री बिजली योजना: 125 यूनिट तक घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देने की घोषणा की गई।
दाखिल-खारिज ऑनलाइन प्रणाली: प्रशासनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक के लिए नई डिजिटल पहल।
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🎯 क्या है रणनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो एनडीए सरकार विपक्ष के हर वादे को निष्प्रभावी करने की रणनीति पर काम कर रही है ताकि जनता को यह संदेश जाए कि सरकार जो वादे विपक्ष कर रहा है, वो पहले ही लागू कर चुकी है या कर रही है।
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⚖️ विपक्ष की प्रतिक्रिया:
राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि नीतीश सरकार को जनता के हित की याद सिर्फ चुनाव से पहले आती है। तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारे हर वादे के बाद नीतीश जी कुछ ना कुछ घोषित कर रहे हैं, इससे साफ है कि वे हमारे एजेंडे से घबराए हुए हैं।”