✍️ संपादक: रोहित कुमार सोनू
बिहार इन दिनों भयंकर जल संकट से गुजर रहा है। जुलाई महीने में भी जहां बारिश की उम्मीदें थीं, वहां अब आसमान सूखा नजर आ रहा है। राज्य के अधिकांश जिलों में कुएं, तालाब और नहरें सूख चुकी हैं। जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि लोग पीने के पानी के लिए मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं।
🔴 सबसे बुरी स्थिति ग्रामीण इलाकों में
सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, गया और नालंदा जैसे जिलों में हालात सबसे अधिक भयावह हैं। गांवों में हैंडपंप भी अब पानी छोड़ना बंद कर चुके हैं। किसानों के खेत सूख चुके हैं और धान की बुआई पर संकट गहरा गया है। पशुओं के लिए भी चारा और पानी दोनों की भारी किल्लत हो रही है।
🌡 तापमान बढ़ा, संकट और गहराया
जलवायु परिवर्तन के असर से राज्य में तापमान सामान्य से कहीं अधिक बना हुआ है। तेज गर्मी और सूखा मौसम दोनों मिलकर लोगों की परेशानी को और बढ़ा रहे हैं।
📉 जलस्तर गिरने के कारण:
मानसून की देरी
भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन
जलस्रोतों का संरक्षण न होना
वनों की कटाई और तालाबों का अतिक्रमण
🚨 सरकार की तैयारी और जनता की उम्मीदें
राज्य सरकार ने जल संकट से निपटने के लिए टैंकर से जल आपूर्ति, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और गांव-गांव जल जागरूकता अभियान की घोषणा की है। लेकिन ज़मीनी स्तर पर राहत की जरूरत और भी अधिक है। आमजन को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ठोस कदम उठाएगा।
✍️ निष्कर्ष:
बिहार को अभी नहीं जगा तो आने वाले समय में स्थिति और विकराल हो सकती है। पानी की एक-एक बूंद अब जीवन रेखा बन गई है। जरूरी है कि लोग खुद भी पानी के संरक्षण के लिए जिम्मेदारी समझें।
💧 "पानी बचाइए, जीवन बचाइए!"
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संपादक: रोहित कुमार सोनू | स्रोत: मिथिला हिन्दी न्यूज