बिहार में आवासीय प्रमाण पत्र बनवाना हुआ और भी मुश्किल, अब अनिवार्य हुआ मोबाइल नंबर सत्यापन

संवाद 

पटना। बिहार में आम लोगों के लिए एक जरूरी दस्तावेज – आवासीय प्रमाण पत्र (Residential Certificate) बनवाना अब पहले से ज्यादा कठिन हो गया है। सरकार द्वारा प्रक्रिया को डिजिटल करने के नाम पर अब मोबाइल नंबर सत्यापन (OTP Verification) को अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों, बुजुर्गों और तकनीकी जानकारी न रखने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

🔹 मोबाइल नंबर सत्यापन बनी बड़ी रुकावट

RTPS पोर्टल (Right to Public Service) के माध्यम से अब सभी आवेदन ऑनलाइन होते हैं। इसमें सबसे पहला चरण है – मोबाइल नंबर दर्ज कर OTP से सत्यापन करना। लेकिन OTP समय पर न आना, पुराना मोबाइल नंबर जुड़ा होना या मोबाइल सेवा का कमजोर होना इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा बन गया है।

गांवों के बुजुर्गों, जिनके नाम से जमीन और घर होते हैं, उनके पास खुद का मोबाइल नंबर नहीं होता या उन्हें OTP प्रक्रिया समझ नहीं आती, जिससे वे प्रमाण पत्र नहीं बनवा पा रहे।

🔹 तकनीकी दिक्कतें और साइबर कैफे की मनमानी

आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होने से अब लोगों को साइबर कैफे या दलालों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो 200-300 रुपये तक वसूल रहे हैं। RTPS वेबसाइट का सर्वर अक्सर स्लो या डाउन रहता है, जिससे OTP आना या डॉक्यूमेंट अपलोड करना कठिन हो जाता है।

🔹 दस्तावेजों की जांच में सख्ती

अब आवेदक को:

आधार कार्ड

राशन कार्ड

फोटो

भूमि या किराये का प्रमाण

मोबाइल नंबर का सत्यापन


जैसे दस्तावेज सही और अपडेटेड देने होते हैं। किसी भी दस्तावेज में त्रुटि या मेल न होने पर आवेदन रिजेक्ट हो जाता है।

🔹 प्रखंड कार्यालय में भी बिना सिफारिश नहीं होता काम

ऑनलाइन आवेदन के बाद भी स्थानीय स्तर पर सत्यापन प्रखंड कार्यालय से ही होता है, जहां अब भी भ्रष्टाचार और सिफारिश का बोलबाला बना हुआ है। अधिकारी छोटे-छोटे कारण बताकर आवेदन लंबित कर देते हैं या आवेदक को बार-बार बुलाते हैं।

🔹 क्या है समाधान?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को OTP सत्यापन के साथ-साथ e-KYC (आधार आधारित फिंगरप्रिंट) या CSC सेवा केन्द्रों पर ऑफलाइन विकल्प भी देना चाहिए। इससे तकनीकी रूप से पिछड़े लोग भी इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

साथ ही RTPS पोर्टल को अपग्रेड कर सर्वर की स्थिति सुधारी जानी चाहिए, ताकि लोग बिना दलालों के सीधे आवेदन कर सकें।


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निष्कर्ष:

डिजिटल इंडिया के दौर में जहां सरकारी सेवाएं ऑनलाइन हो रही हैं, वहीं ज़मीनी हकीकत यह है कि तकनीकी संसाधनों की कमी और जागरूकता के अभाव में बिहार में आम लोगों के लिए आवासीय प्रमाण पत्र बनवाना एक जटिल और थका देने वाली प्रक्रिया बन गई है। अगर समय रहते इस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी नहीं बनाया गया, तो आम जनता का सरकार से विश्वास उठता जाएगा।


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📍 सरकारी प्रमाण पत्र की खबरों के लिए पढ़ते रहिए – मिथिला हिन्दी न्यूज
✍️ संपादन – रोहित कुमार सोनू

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