नेता नहीं, पुलिसवाले बनना चाहते थे लालू प्रसाद यादव — जानिए उनकी अनसुनी कहानी


संवाद 


बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। लेकिन शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि जो लालू आज एक दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर पहचाने जाते हैं, वे कभी पुलिसवाले बनने का सपना देखते थे।

👮‍♂️ बचपन का सपना: वर्दी पहनने की ख्वाहिश

लालू यादव का जन्म 11 जून 1948 को गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था। बचपन में उन्होंने अपने गांव में पुलिस वालों की वर्दी और रौबदार चाल देखी। तभी उनके मन में ख्वाहिश जगी कि वे भी बड़े होकर पुलिस अफसर बनेंगे। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन लालू के अंदर आत्मविश्वास और संघर्ष करने का जज्बा कम नहीं था।

📚 पटना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई और राजनीति में एंट्री

लालू यादव ने पटना यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसी दौरान वे छात्र राजनीति से जुड़े और 1969 में लोकसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज की। पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष बनने के बाद उनकी पहचान एक तेजतर्रार युवा नेता के रूप में बनने लगी। पुलिस की वर्दी का सपना धीरे-धीरे राजनीति की पगड़ी में तब्दील हो गया।

🏛️ फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा

इसके बाद लालू यादव ने 1977 में पहली बार विधायक और फिर 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया। वे जनता दल और बाद में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया बन गए और अपनी विलक्षण भाषण शैली और जनप्रिय छवि के कारण देशभर में मशहूर हो गए।

🤔 क्या होता अगर…

कभी-कभी सोचने पर मजबूर करता है — अगर लालू यादव पुलिस अफसर बन जाते, तो शायद बिहार की राजनीति की दिशा कुछ और होती। लेकिन किस्मत ने उन्हें राजनीति की राह पर ला खड़ा किया और उन्होंने बिहार के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया।




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