पटना
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर मचे राजनीतिक घमासान के बीच निर्वाचन आयोग ने बड़ा बयान दिया है। आयोग ने राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और राज्यसभा सांसद मनोज झा समेत विपक्षी नेताओं की ओर से लगाए गए आरोपों को भ्रामक और तथ्यहीन करार दिया है।
आयोग का स्पष्ट रुख:
चुनाव आयोग ने कहा कि—
> "विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरी तरह नियमबद्ध, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत की जा रही है। यह आरोप कि किसी खास वर्ग या समुदाय के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं, निराधार और भ्रामक हैं।"
क्या कहा था विपक्ष ने?
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि सरकार गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के नाम सूची से काटने की साजिश कर रही है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे जनतंत्र के खिलाफ साजिश बताया।
मनोज झा ने दावा किया कि यह राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित कार्रवाई है।
आयोग ने क्या तर्क दिया?
चुनाव आयोग के अनुसार:
यह प्रक्रिया हर राज्य में चरणबद्ध तरीके से होती है।
किसी व्यक्ति का नाम काटा जाता है तो उसका कारण दर्ज किया जाता है।
बीएलओ (BLO) हर मतदाता से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर फॉर्म भरवा रहे हैं।
कोई भी नागरिक फॉर्म-6 भरकर मतदाता सूची में नाम जुड़वा सकता है।
आयोग की अपील:
आयोग ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि—
> "इस संवेदनशील विषय पर राजनीतिक भ्रम फैलाने से बचें। मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।"