बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पान-तांती जाति को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिलवाने के लिए एक बार फिर कानूनी लड़ाई तेज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के जुलाई 2024 के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर की गई है। इस फैसले में शीर्ष अदालत ने बिहार सरकार के 2015 के उस निर्णय को निरस्त कर दिया था, जिसमें पान-तांती जाति को SC वर्ग में शामिल किया गया था।
🔁 फिर से EBC में शामिल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पान-तांती जाति को दोबारा अति पिछड़ा वर्ग (EBC) में शामिल कर लिया गया। इससे इस वर्ग के लोगों में असमंजस और असंतोष की स्थिति बनी हुई है। सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने सरकार से अपील की थी कि वह इस मामले को शीर्ष अदालत में पुनर्विचार के लिए प्रस्तुत करे।
🧾 पृष्ठभूमि क्या है?
2015 में नीतीश सरकार ने पान-तांती जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किया था।
केंद्र सरकार से सहमति नहीं मिलने पर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।
अब राज्य सरकार ने इस फैसले के पुनर्विचार की याचिका दायर की है।
🗣️ समाज में हलचल
पान-तांती समुदाय लंबे समय से एससी दर्जे की मांग करता रहा है। उनका कहना है कि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से उसी स्थिति में हैं, जैसे अन्य अनुसूचित जातियों के लोग। इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
---
📌 अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट इस रिव्यू पिटीशन पर क्या रुख अपनाता है।
राज्य की सामाजिक संरचना और आरक्षण व्यवस्था पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।