बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान जारी हंगामे और अव्यवस्था को लेकर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने सदस्यों को कड़ी नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही देखने स्कूल के बच्चे भी आए हुए हैं, और वे भी इस पूरे घटनाक्रम को देख और समझ रहे हैं।
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🗣️ स्पीकर का बयान:
> "स्कूल के बच्चे भी सदन की कार्यवाही देखने आए हैं। वे भी देख रहे हैं। वे क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे — जरा इस पर भी विचार कीजिए।"
स्पीकर का यह वक्तव्य सदन में बढ़ती अशालीनता और टकरावपूर्ण माहौल पर सीधा संकेत था। उन्होंने इशारों में सभी पक्षों से आग्रह किया कि सदन की गरिमा बनाए रखें, क्योंकि यह लोकतंत्र का मंदिर है और यहां जो कुछ होता है, उसका गहरा प्रभाव समाज पर पड़ता है — विशेषकर नवजवानों और विद्यार्थियों पर।
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🔥 क्यों आई यह टिप्पणी?
पिछले कुछ दिनों में विधानसभा के अंदर हंगामा, नारेबाजी, काले कपड़े पहनकर विरोध, और एक-दूसरे पर निजी टिप्पणियों की घटनाएं लगातार हो रही हैं। ऐसे माहौल को देखकर स्पीकर ने साफ संदेश दिया है कि विधायकों को अपनी जिम्मेदारी और आचरण का ध्यान रखना चाहिए।
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👦 बच्चों को क्या संदेश देंगे?
सवाल सिर्फ राजनीतिक नहीं है, यह लोकतांत्रिक मूल्यों और आने वाली पीढ़ियों को लेकर भी है। अगर सदन में जनता के प्रतिनिधि अनुशासन नहीं दिखाएंगे, तो छात्रों और युवाओं में लोकतंत्र की क्या छवि बनेगी?
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स्पीकर की यह टिप्पणी उन सभी जनप्रतिनिधियों के लिए एक सचेत करने वाला संदेश है कि राजनीति के साथ-साथ संस्कार और सार्वजनिक आचरण भी ज़रूरी हैं।