पटना (बिहार): बिहार की राजनीति में एक बार फिर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर दरार की आहट सुनाई दे रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे और नेतृत्व के मुद्दे पर NDA के एक प्रमुख सहयोगी दल ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है। इससे गठबंधन के भीतर खलबली मच गई है।
कौन है नाराज?
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) जैसे सहयोगी दलों ने हालिया बैठकों में अपने सम्मानजनक हिस्सेदारी और भूमिका को लेकर सवाल उठाए हैं। कहा जा रहा है कि छोटे दलों को महज “सांकेतिक सहयोगी” बनाकर रखा जा रहा है।
सार्वजनिक मंच से दी चेतावनी
एक वरिष्ठ नेता ने खुले मंच से कहा —
> "हम सम्मान की राजनीति करते हैं, समर्पण की नहीं। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई, तो आगे का रास्ता अलग भी हो सकता है।"
इस बयान के बाद से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि कहीं 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह NDA में टूट-फूट का सिलसिला तो नहीं दोहराया जाएगा।
भाजपा की रणनीति पर उठे सवाल
भाजपा नेतृत्व फिलहाल शांत है, लेकिन अंदरूनी तौर पर बातचीत का दौर जारी है। सीट बंटवारे, नेतृत्व की दावेदारी और क्षेत्रीय संतुलन जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है।
नीतीश कुमार की वापसी से असहजता
कुछ सहयोगी दलों को नीतीश कुमार की NDA में वापसी के बाद से ही अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है, और अब वे अपनी स्थिति स्पष्ट करने में लगे हैं।
📌 अगर यह टकराव बढ़ा, तो 2025 के चुनाव से पहले NDA को बड़ा झटका लग सकता है।
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