मिथिला क्षेत्रीय पंचांग : सितम्बर 2025 के प्रमुख पर्व-त्योहार


मिथिला की संस्कृति और परंपरा सदियों से अपने व्रत-त्योहारों के लिए प्रसिद्ध रही है। भाद्रपद मास के समापन और पितृपक्ष के आरंभ के साथ ही इस महीने में अनेक धार्मिक अनुष्ठान और पर्व मनाए जाते हैं। पंडित पंकज झा शास्त्री द्वारा प्रदत्त पंचांग अनुसार सितम्बर 2025 में पड़ने वाले व्रत-त्योहार इस प्रकार हैं –

✨ 03 सितम्बर 2025 (बुधवार)

  • कर्माधर्मा एकादशी व्रत : यह व्रत विष्णुभक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है।

✨ 04 सितम्बर 2025 (गुरुवार)

  • इंद्रपूजा आरम्भ : वर्षा और समृद्धि के देवता इंद्र की आराधना का शुभ दिन।

✨ 05 सितम्बर 2025 (शुक्रवार)

  • प्रदोष त्रयोदशी व्रत : भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने हेतु इस व्रत का विशेष महत्व है।

✨ 06 सितम्बर 2025 (शनिवार)

  • प्रदोष चतुर्दशी व्रत
  • अनंत चतुर्दशी एवं अनंत पूजा : इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है।

✨ 07 सितम्बर 2025 (रविवार)

  • अगस्त्यमुनि अर्गदान
  • भाद्रपद पूर्णिमा
  • रविव्रत : सूर्य देव की आराधना हेतु समर्पित यह दिन विशेष महत्व रखता है।

✨ 08 सितम्बर 2025 (सोमवार)

  • महालयारम्भ (पितृपक्ष तर्पण का आरम्भ) : पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु तर्पण और पिंडदान की शुरुआत।

✨ 13 सितम्बर 2025 (शनिवार)

  • रात्रियन्त्ते ओठगन : शुभ समय रात 03:35 से 03:35 तक।

✨ 14 सितम्बर 2025 (रविवार)

  • जितिया व्रत : माताएं अपने संतान की दीर्घायु हेतु यह कठोर व्रत करती हैं।
  • भाद्रपद रविव्रत का समापन
    👉 विशेष नियम : जो महिलाएं जितिया व्रत और रविव्रत दोनों एक साथ करेंगी, वे रविव्रत में "एकसांझा (फलाहारी)" नहीं करेंगी, केवल दिनकर भगवान को प्रसाद अर्पित करेंगी।

✨ 15 सितम्बर 2025 (सोमवार)

  • जितिया व्रती हेतु पारण समय : प्रातः 06:35 उपरांत।
  • मातृनवमी : माताओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान का दिन।

✨ 17 सितम्बर 2025 (बुधवार)

  • इंदिरा एकादशी व्रत
  • विश्वकर्मा पूजा : सृष्टि के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष पर्व, जहां लोग औजार, मशीनों और उपकरणों की आराधना करते हैं।

🌹🙏 विशेष सूचना :
यह पंचांग विवरण पंडित पंकज झा शास्त्री (मो. 9576281913) द्वारा प्रदान किया गया है।
👉 हाथ से लिखी जन्मकुंडली बनवाने हेतु संपर्क करें।

सितम्बर 2025 का यह महीना मिथिला और पूरे बिहार के लिए धार्मिक दृष्टि से बेहद खास है। एक ओर जहां जितिया और अनंत पूजा जैसे पर्व पारिवारिक और सामाजिक एकता का संदेश देते हैं, वहीं पितृपक्ष आरंभ होने से पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु कर्तव्य निभाने का अवसर भी मिलता है।


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