रोहित कुमार सोनू
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हर मंदिर और घर-आंगन में उल्लास का माहौल है। जैसे ही रात के बारह बजे मथुरा-वृंदावन से लेकर पूरे देश में घंटे-घड़ियाल बजे और पुजारी ने पट खोला, तो सभी श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए गा उठे –
"नंद के लाल हो जय कन्हैया लाल की…"
मंदिरों में विशेष सजावट की गई थी। झूलों पर कान्हा की मनमोहक प्रतिमाएँ विराजमान थीं। रात को ठीक 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पट खोला गया, और भक्तों ने शंख, मंजीरे और ढोलक की धुन पर नाचते-गाते भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का स्वागत किया।
मथुरा, वृंदावन, द्वारका और बिहार के सीतामढ़ी जैसे प्रमुख स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। झाँकियों में नन्हे-नन्हे बच्चे श्रीकृष्ण और राधा के रूप में सजकर आकर्षण का केंद्र बने। वहीं जगह-जगह भजन-कीर्तन और मटकी फोड़ प्रतियोगिताओं का आयोजन भी हुआ।
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन कान्हा का जन्म केवल मथुरा में नहीं, बल्कि हर उस हृदय में होता है जहाँ प्रेम और भक्ति का भाव जाग्रत होता है।
मौसम की परवाह किए बिना लोग देर रात तक मंदिरों में दर्शन के लिए डटे रहे और भगवान के दरबार में मनोकामनाएँ माँगते रहे।
भक्तों की जुबान पर बस एक ही जयकारा गूँज रहा था –
“नंद के लाल हो… जय कन्हैया लाल की…”
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