संवाद
बिहार की राजनीति में इन दिनों बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राहुल गांधी की सक्रिय राजनीति और लगातार दौरों के चलते कांग्रेस ने नई ऊर्जा हासिल की है। अब तक सहयोगी की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस धीरे-धीरे फ्रंटफुट पर आ गई है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व ने साफ संकेत दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी केवल “छोटे भाई” की भूमिका नहीं निभाएगी, बल्कि खुद को एक मज़बूत विकल्प के तौर पर स्थापित करेगी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि राहुल गांधी की रणनीति से कांग्रेस बिहार में "ड्राइविंग सीट" पर आती दिख रही है, जबकि अब तक बड़ी पार्टी की छवि रखने वाला राजद सहयोगी भूमिका निभाने को तैयार दिख रहा है। तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी के साथ कदमताल करते हुए विपक्षी एकता का संदेश देने में जुटे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव बिहार की सियासत में नई करवट है, जहाँ कांग्रेस अब केवल सीटों के लिए मोलभाव करने वाली पार्टी नहीं बल्कि नेतृत्वकारी भूमिका चाहती है। इसके पीछे राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता और विपक्षी राजनीति में उनका मजबूत कद बड़ा कारण माना जा रहा है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि यह नई राजनीतिक बिसात 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में किस तरह रंग दिखाती है।
देश और बिहार की राजनीति की हर बड़ी खबर के लिए पढ़ते रहिए मिथिला हिन्दी न्यूज