रोहित कुमार सोनू
पंजाब में इस साल 37 वर्षों बाद बाढ़ ने सबसे भयावह रूप धारण कर लिया है। लगातार हुई भारी बारिश और नदियों के उफान से अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। राज्य के कई जिले जलमग्न हो गए हैं, जहां घर, खेत और सड़कें पानी में डूब गई हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक असर होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, रूपनगर और फाजिल्का जिलों में देखने को मिला है। नदियों के किनारे बसे गांवों में पानी घुस जाने से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें लगातार मोर्चे पर डटी हुई हैं।
मुख्यमंत्री ने हालात की समीक्षा करते हुए प्रभावित जिलों के अधिकारियों को राहत कैंप, चिकित्सा सुविधा और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो जाने से किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाढ़ का असर राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ेगा।
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और सरकारी निर्देशों का पालन करें। वहीं, कई सामाजिक संगठनों और गुरुद्वारों ने भी राहत कार्य में हाथ बढ़ाया है।
पंजाब में आई यह बाढ़ 1988 के बाद की सबसे विनाशकारी बाढ़ मानी जा रही है, जिसने लाखों लोगों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। आने वाले दिनों में राहत और पुनर्वास कार्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
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