अररिया। भारत-नेपाल सीमा से सटी सिकटी विधानसभा सीट का भूगोल और सियासत दोनों समय-समय पर करवट लेते रहे हैं। इस इलाके से होकर गुजरने वाली बकरा और नूना नदी अक्सर अपनी धारा बदल लेती हैं, जिससे हर साल यहां की बड़ी आबादी को कटाव और विस्थापन की मार झेलनी पड़ती है।
सिर्फ भूगोल ही नहीं, सिकटी की सियासी धारा भी लगातार बदलती रही है। 1977 में अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें चार बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस, दो बार निर्दलीय उम्मीदवार, और एक-एक बार जनता दल व जदयू को जीत मिली है।
यानी सिकटी की राजनीति में जनता का रुझान किसी एक दल तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि समय और परिस्थितियों के साथ सियासी समीकरण बदलते रहे हैं।
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