गज वाहन से शारदीय नवरात्र में होगा माता का आगमन।

संवाद 

नवरात्र को लेकर जगह जगह तैयारी चल रही है। पूजा पंडाल से लेकर मंदिरों की रंगाई पोताई यहां तक की मूर्तिकार भी मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगे है । पंचांग अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र का आरम्भ 22 सितंबर से हो रहा है वहीं विजया दशमी 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी इस दृष्यादृष्य जगत के सभी प्रपंच चाहे वह जड़ हों या चेतन, सभी निर्विवाद रूप से शक्ति के ही परिणाम हैं। हम सभी का श्वांस-प्रश्वांस प्रणाली, रक्त संचार, हृदय की धड़कन, नाड़ी गति, शरीर संचालन, सोचना समझना, सभी कुछ शक्ति के द्वारा ही संभव होता है। जो कुछ भी पदार्थ के रूप में हैं, उनके साथ-साथ हम सभी पंचतत्वों यानी क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा से बने हैं। उदाहरण के लिए जल में द्रव यानी गीला करने की शक्ति है, अग्नि में दाह यानी जलाने की शक्ति है, वायु में स्पर्श की शक्ति है, मिट्टी में गंध की शक्ति है और आकाश में शब्द की शक्ति है। प्रकाश और ध्वनि में तरंग की शक्ति है। सृष्टि में सृजन की शक्ति है और प्रलय में विसर्जन की शक्ति है। प्राण में जीवन शक्ति है।

👉स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पंडित पंकज झा शास्त्री ने कहा कि दुर्गा के नौ स्वरूप कि कई कथा शास्त्रों में वर्णित है अगर हम वैज्ञानिक दृष्टि से समझे तो छह प्रकार के उद्भिज हैं – औषधि, वनस्पति, लता, त्वक्सार, विरुद् और द्रमुक, सातवाँ स्वेदज, आठवाँ अंडज और नौवां जरायुज जिससे मानव पैदा होते हैं। ये नौ प्रकार की सृष्टि होती है।
पृथिवी का स्वरूप भी नौ प्रकार का ही है। पहले यह जल रूप में थी, फिर फेन बनी, फिर कीचड़ (मृद) बना। और सूखने पर शुष्क बनी। फिर पयुष यानी ऊसर बनी। फिर सिक्ता यानी रेत बनी, फिर शर्करा यानी कंकड़ बनी, फिर अश्मा यानी पत्थर बनी और फिर लौह आदि धातु बने। फिर नौवें स्तर पर वनस्पति बनी। इसी प्रकार स्त्री की अवस्थाएं, उनके स्वभाव, नौ गुण, सभी कुछ नौ ही हैं।
इसी प्रकार सभी महत्वपूर्ण संख्याएं भी नौ या उसके गुणक ही हैं। पूर्ण वृत्त 360 अंश और अर्धवृत्त 180 अंश का होता है। नक्षत्र 27 हैं, हरेक के चार चरण हैं, तो कुल चरण 108 होते हैं। कलियुग 432000 वर्ष, इसी क्रम में द्वापर, त्रेता और सत्युग हैं। ये सभी नौ के ही गुणक हैं। चतुर्युगी, कल्प और ब्रह्मा की आयु भी नौ का ही गुणक है। सृष्टि का पूरा काल भी नौ का ही गुणक है। मानव मन में भाव नौ हैं, रस नौ हैं, भक्ति भी नवधा है, रत्न भी नौ हैं, धान्य भी नौ हैं, रंग भी नौ हैं, निधियां भी नौ हैं। इसप्रकार नौ की संख्या का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है। इसलिए नौ दिनों के नवरात्र मनाने की परंपरा हमारे पूर्वज ऋषियों ने बनायी।

👉पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि नवरात्र यह एक विशिष्ट उत्सव है जिसमें एक ओर तो उत्सव ही उत्सव है और दूसरी ओर व्यक्ति स्वयं के भीतर गहरे उतर कर ज्ञान प्राप्त कर सकता है। इस समय व्यक्ति को शुंभ निशुंभ राक्षस की तरह व्यक्ति को नाना प्रकार के विकृतियां घेरने का प्रयास करती हैं,विकृतियाँ किसी भी व्यक्ति को नियंत्रण से बाहर कर सकती हैं और आध्यात्मिक पथ में बाधा बन सकती हैं। परंतु दैवी शक्ति की कृपा से नवरात्रि के नौ दिनों में इन विकृतियों से मुक्त हुआ जा सकता है।

👉नवरात्र आरम्भ होने के पूर्व महालया का विशेष महत्व माना गया है ,महालया एक पारंपरिक और धार्मिक अवसर है जिसका मुख्य वैज्ञानिक महत्व पूर्वजों के प्रति सम्मान, आशीर्वाद प्राप्त करने और दुर्गा पूजा के आगमन का प्रतीक है। यह पितृ पक्ष के समापन और देवी दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन का संकेत है। महालया पर पूर्वजों के लिए तर्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे उन्हें परलोक में जाने में मदद मिलती है। यह अपने पूर्वजों के साथ संबंधों को मजबूत करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण दिन है। 

👉इस बार माता का आगमन 22 सितंबर सोमवार को हो रहा है । यानि कलश स्थापन के समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा। वैसे तो माता का मुख्य वाहन शेर है परंतु शास्त्र अनुकूल जिस दिन कलश स्थापन होता है उस अनुसार माता का वाहन निर्धारित होता है इस बार माता दुर्गा के हाथी (गज) पर आगमन को सुख-समृद्धि, धन-धान्य और वर्षा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, यह कृषि में उन्नति, किसानों की आय में वृद्धि और देश में खुशहाली का संकेत है। वहीं इस बार विजया दशमी 02 अक्टूबर गुरुवार को हो रहा है यानि मां दुर्गा नर वाहन से करेगी गमन ।
कुछ मामलों को छोड़ कर माता का गमन फल अधिकतर शुभ है.

👉इस दिन कलश स्थापन हेतु शुभ मुहूर्त प्रातः 05:59 से दिन के 07:26 तक, इसके उपरांत दिन के 09:00 से दिन के 03:02 तक अति उत्तम होगा वैसे समय अभाव में आप इस दिन कभी भी कलश स्थापन कर सकते हैं कारण नवरात्र का समय सिद्धि का समय होता है और इस समय राहु काल भी कमजोर होता है।

 मिथिला क्षेत्रीय पंचांग अनुसार 
तिथि क्रमवार पूजा सारिणी - ✍️

22/09/2025 सोमवार -
प्रतिपदा तिथि रात्रि 01:29 तक।
आज -👉
शारदीय नवरात्र आरम्भ, कलश स्थापन, देवी आगमन गजवाहनया, मां शैलपुत्री पूजा।

23/09/2025 मंगलवार-
द्वितीया तिथि रात्रि 03:02 तक।
आज - 👉
श्री रेमन्त पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा।

24/09/2025 बुधवार - 
तृतीया तिथि रात्रि 04:46 तक।
आज - 👉
मां चंद्रघंटा पूजा।

25/09/2025 गुरुवार - चौठ तिथि अहोरात्र।
आज - 👉
श्री गणेश पूजन, श्री गणेश चौठ व्रत, मां कुष्मांडा पूजा।

26/09/2025 शुक्रवार - 
चौठ तिथि प्रातः 06:49 तक।
आज 👉
मां कुष्मांडा पूजा।

27/09/2025 शनिवार।
पंचमी तिथि दिन 08:55 तक।
आज - 👉
मां स्कंदमाता पूजा।, हस्ते रवि: रात्रि 10:12 बजे।

28/09/2025 रविवार - 
षष्ठी रात्रि दिन 10:54 तक।
आज - 👉
विल्वाभिमन्त्रण(बेलनौती), गजपूजा, मां कात्यायनी पूजा।

29/09/2025 सोमवार - 
सप्तमी तिथि दिन 12:35 तक।
आज - 👉
नवपत्रिका प्रवेश, भगवती दर्शन, मां कालरात्रि पूजा,महारात्रि निशापूजा ।
महा सप्तमी व्रत।

30/09/2025 मंगलवार - 
अष्टमी तिथि दिन 01:54 तक।
आज - 👉
मां महागौरी पूजा, महाअष्टमी व्रत।

01/10/2025 बुधवार - 
नवमी तिथि दिन 02:46 तक।
आज - 👉
मां सिद्धिदात्री पूजा, त्रिशूलनी पूजा, महानवमी व्रत, हवनादि:।

02/10/2025 गुरुवार - 
दशमी तिथि दिन 03:05 तक।
आज - 👉
विजया दशमी, अपराजिता पूजा, समीपूजा,देवी विसर्जन, जयन्तीधारण, देवीगमन नरवाहनया।

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