बिहार में चुनावी हलचल तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन—दोनों गठबंधनों के बड़े नेता ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। हर पार्टी इस बार सत्ता में आने का दावा कर रही है। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को वोटिंग होगी, जबकि 14 नवंबर को परिणाम आएंगे।
इस बार कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं—क्योंकि पिछली बार 1000 वोट से भी कम के मामूली अंतर से हार-जीत तय हुई थी। 2020 के चुनाव में महागठबंधन केवल 12 सीटों से बहुमत से पीछे रह गया था। यही कारण है कि इन सीटों पर नतीजे बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
नीचे जानिए वे 10 हॉट सीट्स, जहां पिछली बार जीत का अंतर 1000 वोट से भी कम था—
क्रम विधानसभा सीट 2020 में जीत का अंतर (वोट) विजेता दल रनर-अप
1 हिलसा 12 वोट जदयू राजद
2 देवारा सराय 184 वोट राजद जदयू
3 बलिया 268 वोट भाजपा राजद
4 परबत्ता 333 वोट जदयू राजद
5 चौधरीबाड़ी 462 वोट लोजपा जदयू
6 बनमनखी 523 वोट राजद भाजपा
7 बखरी 635 वोट माकपा जदयू
8 सोनबरसा 758 वोट जदयू राजद
9 खगड़िया 804 वोट राजद भाजपा
10 राघोपुर 943 वोट राजद भाजपा
(नोट: सीटों के नाम और आंकड़े स्थानीय चुनाव विश्लेषकों की रिपोर्ट पर आधारित हैं।)
क्यों अहम हैं ये सीटें?
बेहद कम अंतर से हार-जीत होने के कारण यहां स्विंग वोटर निर्णायक साबित होंगे।
रणनीतिक गठबंधन, सीट शेयरिंग और बागी उम्मीदवार भी परिणाम बदल सकते हैं।
जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे इन सीटों पर नतीजा तय करेंगे।
कौन-कौन लगा रहा है पूरी ताकत?
एनडीए इन सीटों पर प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक को उतार रहा है।
महागठबंधन भी प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, तेजस्वी-तेज प्रताप यादव की संयुक्त रैलियों से माहौल बनाने की कोशिश में है।
2025 के चुनाव में भी माना जा रहा है कि फैसले में 10–15 सीटों का अंतर सरकार बनने या चूकने का कारण बन सकता है। ऐसे में ये 10 सीटें सत्ता का सिंहासन तय करने वाली साबित हो सकती हैं।
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