बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने एक नया सामाजिक-राजनीतिक ट्रेंड साफ कर दिया है — गरीब पृष्ठभूमि वाले विधायक लगातार कम होते जा रहे हैं। इस बार चुने गए 243 विधायकों में से 218 करोड़पति हैं। यानी विधानसभा का 90 प्रतिशत हिस्सा करोड़पति जनप्रतिनिधियों के कब्जे में है।
इसके उलट, मात्र 25 विधायक ऐसे हैं जिनकी घोषित संपत्ति 1 करोड़ रुपये से कम है। गरीब या कम संपत्ति वाले उम्मीदवारों की संख्या तेजी से गिरती जा रही है।
तुलना करें तो 2010 के चुनाव में केवल 20% विधायक करोड़पति थे। उसके बाद हर चुनाव में यह प्रतिशत लगातार बढ़ा है और पहली बार 90% का रिकॉर्ड स्तर छू गया है। यह प्रवृत्ति बताती है कि बिहार की राजनीति में अब आर्थिक रूप से मजबूत उम्मीदवारों का दबदबा बढ़ रहा है, जबकि सामान्य या गरीब वर्ग से आने वाले नेताओं की हिस्सेदारी घटती जा रही है।
सियासी विश्लेषक इसे चुनावी खर्च में बढ़ोतरी, टिकट बंटवारे में पैसे की अहम भूमिका और जीत के लिए संसाधनों की आवश्यकता से जोड़कर देख रहे हैं।
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