बिहार की नई सरकार बनने के बाद अब राजनीतिक समीकरणों में नई हलचल शुरू हो गई है। इसी कड़ी में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि वे नीतीश कुमार की सरकार को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को एक अहम शर्त माननी होगी — सीमांचल को उसका हक और न्याय मिलना चाहिए।
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"सब कुछ पटना और राजगीर के इर्द-गिर्द क्यों?" — ओवैसी का सवाल
अमौर में चुनाव बाद पहली बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा—
> "विकास सिर्फ राजधानी पटना और पर्यटन स्थलों तक सीमित क्यों है? कब तक बिहार की राजनीति और योजनाएं सिर्फ पटना और राजगीर के इर्द-गिर्द घूमती रहेंगी?"
उन्होंने कहा कि बिहार का सीमांचल क्षेत्र अभी भी पिछड़ा, उपेक्षित और संकटग्रस्त है।
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सीमांचल की समस्याओं पर ओवैसी का फोकस
ओवैसी ने भाषण के दौरान खासकर तीन बड़े मुद्दों पर जोर दिया—
नदी कटाव और बाढ़ से हो रही तबाही
बड़े स्तर पर पलायन
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार
उन्होंने कहा कि सीमांचल क्षेत्र के लोग दशकों से इन समस्याओं से जूझ रहे हैं और सरकारों ने इसे कभी प्राथमिकता नहीं दी।
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शर्त: विकास और बराबरी
ओवैसी ने समर्थन के बदले सिर्फ एक ही बात दोहराई—
> “अगर नीतीश कुमार सीमांचल को न्याय देंगे और विकास को सिर्फ पटना और राजगीर तक सीमित नहीं रखेंगे, तो हम सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान सिर्फ समर्थन की पेशकश नहीं, बल्कि सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति भी हो सकती है।
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बिहार की राजनीति में नया मोड़?
अब देखने वाली बात यह होगी कि नीतीश सरकार ओवैसी की इस शर्त को कितनी गंभीरता से लेती है। अगर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनती है, तो बिहार की राजनीतिक दिशा में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
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