“सारे शिकवे-गिले भुलाकर साथ आए दो पुराने साथी: अरुण कुमार और उपेंद्र कुशवाहा की दुर्लभ मुलाकात”

रोहित कुमार सोनू 


बिहार की राजनीति में कई कहानियाँ रिश्तों, मतभेदों और बदलते वक़्त की गवाही देती हैं। कभी एक-दूसरे के बेहद करीब रहे पूर्व सांसद अरुण कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी जब टूटी, तो राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएँ उठीं। दोनों नेता अलग राह पर चले गए, और दिलचस्प बात यह रही कि अलग होने के बाद किसी को लोकसभा की सदस्यता भी नसीब नहीं हुई।

दरअसल, दोनों के सामने अपनी-अपनी मजबूरियाँ थीं, अपनी राजनीतिक परिस्थितियाँ थीं। कौन सही था और कौन गलत—यह अब इतिहास बन चुका है। वक़्त ने बहुत कुछ बदल दिया है।

इस बीच राजनीति ने दोनों परिवारों को नई पहचान भी दी।

  • उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता कुशवाह इस बार बिहार विधानसभा की सदस्य बनी हैं।
  • वहीं अरुण कुमार के बेटे ऋतुराज भी इस चुनाव में विधायक बनकर राजनीति में नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
  • दूसरी ओर, उपेंद्र कुशवाहा के बेटे बिना किसी सदन की सदस्यता के सीधे बिहार मंत्रिमंडल में शामिल होकर सुर्खियों में हैं।

इन सबके बीच जो तस्वीर सामने आई है, वह वाकई सुखद है—लंबे अरसे बाद अरुण कुमार और उपेंद्र कुशवाहा एक ही फ्रेम में पारिवारिक माहौल में बैठे नजर आए। किसी समय की दूरियां, मतभेद और राजनीतिक खटास भले ही रही हो, मगर समय, परिस्थिति और जीवन के उतार-चढ़ाव इंसान को बहुत कुछ सिखाते हैं।

जब अपने लोग फिर साथ नजर आते हैं, तो दृश्य निश्चित ही संतोष और सकारात्मकता की भावना पैदा करता है। यह तस्वीर भी उसी का प्रतीक है—कि रिश्ते राजनीति से बड़े होते हैं और वक़्त हर दूरी को पाट देता है।

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