संवाद
बिहार में किसका ‘राजतिलक’ होगा, आज यानी शुक्रवार 14 नवंबर को शुरू होने वाली मतगणना के बाद आने वाले जनादेश में यह साफ हो जाएगा। पूरे 39 दिनों के सत्ता संग्राम में दो बड़े गठबंधनों—नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी यादव के महागठबंधन—ने सत्ता पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी।
इस बार चुनावी समीकरण में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरी, जिसने मैदान में कोई कमी नहीं छोड़ी।
चुनाव में इस बार 926 निर्दलीय प्रत्याशियों और कई बड़े दलों के बागी नेताओं ने भी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया। हर मोड़ पर वार, प्रहार और पलटवार देखने को मिला। कई बार भाषा की मर्यादा टूटी, तो कई बार बयानबाज़ी सत्ता संग्राम का सबसे बड़ा हथियार बन गई।
इस चुनावी मौसम में मौसम ने भी तेवर बदले—कभी हल्की धूप, कभी बारिश, तो कभी उमस भरी गर्मी। लेकिन नेताओं ने इन सबकी परवाह किए बिना अपनी-अपनी बाज़ी को पलटने के लिए दिन-रात मेहनत की।
अब सबकी निगाहें सिर्फ एक चीज़ पर टिकी हैं—जनता का फैसला कौन पाता है?
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