बिहार में ऑटो और ई-रिक्शा बने आजीविका का बड़ा सहारा, पिछले पांच साल में 88% ई-रिक्शा की हुई बिक्री


संवाद 

बिहार में ऑटो और ई-रिक्शा स्वरोजगार का मजबूत माध्यम बनते जा रहे हैं। खासकर कोरोना काल (2020) के बाद लोगों ने बड़े पैमाने पर इस ओर रुख किया है। कम वेतन पर निजी कंपनियों में काम करने वाले कई लोग अब स्थायी आय की तलाश में ऑटो और ई-रिक्शा खरीदकर रोज़गार के नए विकल्प अपना रहे हैं।

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 7 दिसंबर 2025 तक बेचे गए कुल ई-रिक्शा में से 88% पिछले पांच वर्षों में बिके हैं, जो बताता है कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग कितनी तेजी से बढ़ी है।
यही नहीं, ऑटो की बिक्री भी पिछले पांच वर्षों में अब तक की कुल बिक्री के एक-तिहाई तक पहुंच चुकी है। इससे साफ है कि बिहार में स्वरोजगार और परिवहन क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिला है।

विशेषज्ञों का कहना है कि

बढ़ता शहरीकरण,

बेहतर सड़क कनेक्टिविटी,

ई-रिक्शा की कम लागत और

अधिक कमाई की संभावना
— लोगों को इस सेक्टर की ओर आकर्षित कर रही है।


बिहार के कई जिलों में अब ई-रिक्शा मुख्य स्थानीय परिवहन साधन बन गया है, जिससे न सिर्फ आम लोगों को सफर में सुविधा हुई है बल्कि हजारों परिवारों को कमाई का स्थायी जरिया भी मिला है।

बिहार की अर्थव्यवस्था, रोजगार और परिवहन से जुड़ी ताज़ा खबरों के लिए पढ़ें — मिथिला हिन्दी न्यूज।

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