संवाद
डिजिटल पेमेंट के बढ़ते दौर में जहां ऑनलाइन लेन-देन ने लोगों की जिंदगी आसान बना दी है, वहीं साइबर ठगों ने भी इसका नया तरीका ढूंढ निकाला है। हाल ही में कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि उनका बैंक अकाउंट ऑटोपे (AutoPay) के नाम पर खाली हो रहा है।
यह ठगी बहुत चालाकी से की जा रही है। कई फेक ऐप, गेम, रिचार्ज टूल या ऑफर वाले एप्स शुरुआत में ₹1 या ₹2 का ट्रायल ऑफर देते हैं। लोग बिना सोचे ‘Allow AutoPay’ पर क्लिक कर देते हैं। जैसे ही ऑटोपे एक्टिव हो जाता है, बाद में ऐप ₹500, ₹1000, ₹1500, या उससे ज्यादा की रकम काट लेता है—वह भी बिना OTP के।
कैसे होती है यह ठगी?
- फर्जी ऐप या वेबसाइट “ट्रायल ऑफर”, “फ्री सब्सक्रिप्शन” या “₹1 में प्रीमियम” दिखाती है।
- पेमेंट के समय ऑटोपे चालू करने की अनुमति ले लेती है।
- बाद में ऑटोपे के माध्यम से हर महीने/हर सप्ताह बड़ी रकम काट ली जाती है।
- कई मामलों में लोग महीनों तक नहीं जान पाते कि पैसे कहाँ जा रहे हैं।
किन ऐप्स से सबसे ज्यादा शिकायतें?
- लोन ऐप
- वीडियो एडिटिंग या फोटो एडिटिंग ऐप
- फ्री गेम/प्रीमियम गेम
- म्यूजिक/वीडियो डाउनलोडिंग ऐप
- फेक कैशबैक या ऑफर वाले ऐप
कैसे बचें ऐसी ठगी से?
-
UPI Autopay की सेटिंग चेक करें
Google Pay / PhonePe / Paytm में जाकर ऑटोपे में देखें कि कोई संदिग्ध सब्सक्रिप्शन तो नहीं। -
अनजाने ऐप इंस्टॉल न करें
केवल Play Store से ऐप डाउनलोड करें और उनका रिव्यू जरूर देखें। -
₹1 वाले ट्रायल ऑफर से बचें
यह सबसे बड़ा जाल है। -
बैंक स्टेटमेंट नियमित रूप से जांचें
छोटी-छोटी कटौतियाँ नज़रअंदाज़ न करें। -
संदिग्ध ऐप को तुरंत अनइंस्टॉल करें और बैंक में शिकायत दर्ज कराएं।
क्या कह रहा है साइबर सेल?
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, यह धोखाधड़ी ‘फोर्स्ड ऑटोपे सब्सक्रिप्शन’ के जरिए की जाती है और भारत में ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लोगों को जागरूक होकर डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल करना चाहिए।
डिजिटल ठगी से बचने के लिए पढ़ते रहिए
👉 मिथिला हिन्दी न्यूज