बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की भारी हार और 35 सीटों तक सिमटने के बाद अब राजनीति का केंद्रबिंदु नई बहस बन गई है—महागठबंधन के कुछ विधायकों के टूटकर एनडीए में आने की संभावना। इस मुद्दे पर लोजपा-आर अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के एक बयान ने राजनीतिक माहौल को पूरी तरह गर्म कर दिया है।
चिराग पासवान के बयान के बाद राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने उन पर तीखा हमला बोलते हुए उनकी “हैसियत” पर सवाल उठाया था। इसके जवाब में लोजपा-आर के सांसद अरुण भारती ने प्रहार करते हुए चिराग की ताकत ही गिना दी।
अरुण भारती ने कहा—
“चिराग पासवान की हैसियत यह है कि उन्होंने राजद के सीएम कैंडिडेट तेजस्वी यादव को सीएम-इन-वेटिंग बनाकर छोड़ दिया और राजद को 75 से 25 सीटों पर लाकर पटक दिया।”
इस बयान के बाद दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप और तल्ख़ी का दौर और तेज हो गया है।
महागठबंधन इसे चिराग पासवान की “बड़बोलापन” बताकर खारिज कर रहा है।
जबकि लोजपा-आर का दावा है कि चिराग की रणनीति ने ही चुनाव में राजद को बड़ा नुकसान पहुंचाया।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के साथ लोजपा-आर की मजबूत पकड़ और एनडीए के भीतर मौजूदा समीकरणों में चिराग पासवान की भूमिका निश्चित रूप से पहले से कहीं अधिक अहम हो गई है। यही कारण है कि उनकी किसी भी टिप्पणी पर महागठबंधन की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
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