कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल रास्ता नहीं रोक सकता। बिहार की सीता देवी ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। बिना किसी औपचारिक शिक्षा के इलेक्ट्रिशियन बनीं सीता देवी की कहानी हर किसी को प्रेरित करने वाली है।
कैसे बनीं इलेक्ट्रिशियन?
सीता देवी एक गरीब परिवार से आती हैं। बचपन में ही घर की जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गईं कि स्कूल जाने का सपना अधूरा रह गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए छोटी उम्र में ही मजदूरी करने लगीं।
एक दिन उन्होंने देखा कि गांव में एक इलेक्ट्रिशियन बिजली का काम कर रहा था। तभी उनके मन में सवाल आया – "क्या मैं भी ये काम सीख सकती हूं?" इस सवाल ने उनकी जिंदगी बदल दी।
खुद से सीखा हुनर, अब गांव की पहली महिला इलेक्ट्रिशियन!
सीता देवी ने शुरुआत में इलेक्ट्रिशियन के काम को ध्यान से देखना शुरू किया। धीरे-धीरे वह खुद छोटे-मोटे बिजली के काम करने लगीं। फिर कुछ समय बाद उन्होंने अपने गांव में ही बिजली फिटिंग और मरम्मत का काम शुरू कर दिया। आज वह अपने इलाके की पहली महिला इलेक्ट्रिशियन बन चुकी हैं।
पुरुषों के क्षेत्र में बनाई अलग पहचान
इलेक्ट्रिशियन का काम अक्सर पुरुषों का माना जाता है, लेकिन सीता देवी ने इस सोच को तोड़ दिया। पहले लोग उन्हें ताने मारते थे, लेकिन जब उन्होंने अपने काम से खुद को साबित किया, तो वही लोग उनकी तारीफ करने लगे।
गांव की महिलाओं के लिए बनीं प्रेरणा
सीता देवी न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। वह चाहती हैं कि लड़कियां भी तकनीकी कामों में आगे बढ़ें और आत्मनिर्भर बनें।
सीता देवी की कहानी से क्या सीख मिलती है?
✅ हौसला हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं।
✅ सफलता के लिए सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, मेहनत और लगन भी जरूरी है।
✅ महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकती हैं।
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