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बिहार में छात्र राजनीति: समाप्त नहीं, एक नई चेतना का स्वरूप

रोहित कुमार सोनू ( संपादक) 
बिहार की छात्र राजनीति एक समय सामाजिक परिवर्तन की सबसे ताकतवर धारा मानी जाती थी। पटना विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU), तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) जैसे संस्थान छात्र आंदोलनों के केंद्र बिंदु रहे हैं। आज, हालांकि पारंपरिक आंदोलन कम हुए हैं, लेकिन नई पीढ़ी डिजिटल माध्यमों और वैकल्पिक प्लेटफॉर्म के जरिए संघर्ष की मशाल थामे हुए है।

प्रमुख छात्र संगठनों की भूमिका

1. ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) – यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा है और वर्षों से शिक्षा सुधार, राष्ट्रवाद और छात्र समस्याओं को लेकर सक्रिय रहा है।


2. AISF (अखिल भारतीय छात्र संघ) – वामपंथी विचारधारा से प्रेरित यह संगठन बिहार में शिक्षा, छात्रवृत्ति और छात्रहित के मुद्दों पर लगातार लड़ाई करता रहा है।


3. AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) – यह संगठन खासकर दलित, महिला और गरीब छात्रों के हक की आवाज़ बना है।


4. NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) – कांग्रेस पार्टी से जुड़ा यह संगठन कैम्पस राजनीति में मजबूत उपस्थिति रखता है।
इन संगठनों ने समय-समय पर आरक्षण, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, और शैक्षणिक ढांचे में सुधार के लिए कई आंदोलन किए।

विश्वविद्यालयों में संघर्ष की मिसाल

पटना विश्वविद्यालय – 1974 के जेपी आंदोलन से लेकर आज तक यह विश्वविद्यालय छात्र संघर्ष की धुरी रहा है। यहां से निकले छात्र नेताओं में नीतीश कुमार, लालू यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं। हाल ही में छात्रावासों में सुविधाओं की कमी और फीस वृद्धि को लेकर आंदोलन हुए।

LNMU, दरभंगा – मिथिला क्षेत्र के इस प्रमुख विश्वविद्यालय में नियमित सत्र चालू रखने, परीक्षा तिथि घोषित करने और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर छात्रों ने कई बार विरोध जताया है। 2023 में परीक्षा परिणाम में देरी को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था।

TMBU, भागलपुर – यहाँ छात्रों ने लाइब्रेरी की स्थिति, शिक्षक नियुक्ति और समय पर रिजल्ट जारी करने की मांग को लेकर आंदोलन किया। AISA और AISF ने मिलकर 2022 में बड़ा जनप्रदर्शन किया था।

हाल के आंदोलन: नया दौर, नया तरीका

1. बेरोजगारी और प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली – BPSC और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर छात्रों ने 2022-24 के बीच बार-बार प्रदर्शन किए।


2. फीस वृद्धि विरोध – पटना विश्वविद्यालय और TMBU में 2023 में फीस वृद्धि के खिलाफ जोरदार डिजिटल आंदोलन चला।


3. महिला सुरक्षा और छात्रावास की मांग – छात्राओं ने ट्विटर और इंस्टाग्राम के माध्यम से "CampusSafeBihar" जैसे हैशटैग अभियान चलाए, जिससे प्रशासन को ध्यान देना पड़ा।


4. ऑनलाइन परीक्षा और रिजल्ट में देरी – कोरोना काल के बाद ऑनलाइन परीक्षा की अनियमितता के खिलाफ छात्र संगठनों ने लगातार आवाज़ उठाई।
निष्कर्ष: लड़ाई जारी है, बस रास्ता बदला है

बिहार की छात्र राजनीति आज के युग में डिजिटल, विचारधारा और संगठनात्मक स्तर पर भले ही बदली हो, लेकिन उसका मूल उद्देश्य — छात्रों की आवाज़ बनना — आज भी जीवित है। संघर्ष अब सड़कों के साथ-साथ स्क्रीन और विचारधारा के युद्ध में भी दिख रहा है।

बिहार के युवाओं की ये ऊर्जा, संघर्ष और संकल्प भविष्य की राजनीति और समाज को आकार देने वाली शक्ति है।

मौजूदा छात्र शक्ति को समझने और समर्थन देने के लिए पढ़ते रहिए —
मिथिला हिन्दी न्यूज 


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