नई दिल्ली/मुजफ्फरपुर: सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर में जमीन की बिक्री से जुड़े एक गंभीर मामले में फर्जी वकील और फर्जी समझौता पत्र के ज़रिए अदालत से आदेश लेने के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले को न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की श्रेणी में माना है।
मामले में हरीश जायसवाल नामक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि उन्हें न तो इस केस की जानकारी थी, और न ही उन्होंने कोई वकील नियुक्त किया था। इसके बावजूद उनके नाम से अदालत में एक समझौता पत्र और वकालतनामा प्रस्तुत किया गया।
कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन सप्ताह के भीतर पूरी जांच रिपोर्ट मांगी है। अब संबंधित पक्षों और दस्तावेजों की जांच की जाएगी ताकि यह पता चल सके कि इस धोखाधड़ी के पीछे कौन लोग शामिल हैं।
यह मामला न सिर्फ संपत्ति विवाद का है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास और पारदर्शिता पर भी सवाल खड़ा करता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि दोषी पाए गए, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।