बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्ष जहां इस प्रक्रिया को राजनीति से प्रेरित बता रहा है, वहीं राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने तीखा पलटवार किया है।
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🔥 विजय सिन्हा का बयान:
> "आरजेडी और कांग्रेस के नेता अब बांग्लादेशियों की भाषा बोलने लगे हैं। वोटर लिस्ट को शुद्ध करना चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन ये लोग असहज क्यों हो रहे हैं?"
डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि फर्जी वोटरों को हटाने से जो डर रहे हैं, असल में वही बेनकाब हो रहे हैं।
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🗳️ क्या है मुद्दा?
बिहार में वोटर लिस्ट का घर-घर जाकर सत्यापन हो रहा है।
मतदाताओं को पहचान पत्र और दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जा रहा है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि यह सर्वे चुनाव से पहले चुनिंदा समुदायों को डराने और नाम कटवाने की कोशिश है।
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🛑 विपक्ष का तर्क
राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि:
यह "सर्वे नहीं, टारगेटेड डीलिस्टिंग" है।
गरीब और अल्पसंख्यक तबके को डराया जा रहा है।
बीजेपी वोटरों की सफाई के नाम पर ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।
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🧭 विजय सिन्हा का जवाब:
डिप्टी सीएम ने कहा कि जो भारत के नागरिक हैं, उनके पास डरने की कोई जरूरत नहीं है।
> "देश के हित में वोटर लिस्ट की सफाई जरूरी है। लेकिन जो बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोटर बनाए रखना चाहते हैं, उनकी नीयत पर सवाल उठना लाजमी है।"