पटना:
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी और पार्टी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक दावा कर बिहार की सियासत में हलचल मचा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2010 में जब आरजेडी के मात्र 22 विधायक बचे थे, तब पार्टी को तोड़ने की साजिश की गई थी।
भाई वीरेंद्र ने कहा:
> “एक खास आदमी आया था जो खुद को जीतनराम मांझी का प्रतिनिधि बता रहा था। उसने 2 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था और कहा कि अगर हम लोग साथ आएं तो मंत्री बना दिया जाएगा।”
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उस व्यक्ति ने सीधा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी कराई थी। लेकिन उन्होंने और उनकी टीम ने उस लालच को ठुकरा दिया।
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🔹 “पार्टी से गद्दारी मंजूर नहीं”
भाई वीरेंद्र ने कहा कि हम लालू यादव के सिपाही हैं, हमें पैसा और पद का लालच कभी डिगा नहीं सकता। “मैंने साफ कह दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, पार्टी नहीं छोड़ूंगा। यही मेरी वफादारी है।”
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🔹 जदयू ने किया इनकार
हालांकि इस आरोप पर अब तक जदयू की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के सूत्रों ने इसे राजनीतिक ड्रामा बताया है। उनका कहना है कि 15 साल पुरानी बात को अब उछालना सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश है।
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🔹 क्यों अहम है यह बयान?
भाई वीरेंद्र का बयान ऐसे समय आया है जब बिहार की राजनीति में एनडीए और महागठबंधन के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। साथ ही राज्य में सीटों के बंटवारे को लेकर गहमागहमी भी चरम पर है। ऐसे में यह बयान भविष्य की रणनीति का संकेत भी माना जा रहा है।