लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक इंटरव्यू में बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन के लिए मनाया था। यह वही गठबंधन है, जिसने बाद में बिहार और केंद्र की राजनीति में नई धारा को जन्म दिया।
"पापा का रिएक्शन बहुत स्ट्रॉन्ग था"
इंटरव्यू में चिराग ने कहा—
> "जब मैंने पहली बार पापा से भाजपा से गठबंधन की बात की थी तो उनका रिएक्शन बहुत स्ट्रॉन्ग था। वो सहमत नहीं थे।"
"उनके मन में सेक्युलर छवि को लेकर चिंता थी। लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि वक्त बदल रहा है, भाजपा अब सिर्फ एक पार्टी नहीं बल्कि एक विचार बन चुकी है।"
"राजनीति में फैसले समय की नब्ज पर लेने होते हैं"
चिराग पासवान ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने पिता को यह बात समझाई कि:
> "राजनीति में फैसले समय की नब्ज पर लेने होते हैं। यदि हम पीछे रहेंगे तो हमारा जनाधार भी पीछे छूट जाएगा।"
उनके मुताबिक, इस तर्क और युवा दृष्टिकोण को रामविलास पासवान ने समय लिया, लेकिन अंततः समझा और फिर 2014 में एनडीए में शामिल होकर केंद्र में मंत्री बने।
गठबंधन ने दी नई ताकत
एलजेपी और भाजपा के बीच हुआ यह गठबंधन 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 में दोबारा सत्ता में आने में निर्णायक साबित हुआ। एनडीए के लिए रामविलास पासवान एक भरोसेमंद दलित चेहरा बने और चिराग ने भी उसी विरासत को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया।
क्या यह खुलासा बिहार चुनाव 2025 की रणनीति का हिस्सा?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग का यह बयान एनडीए के प्रति उनकी निष्ठा को फिर से जताने का प्रयास है, खासकर तब जब बिहार में गठबंधन की राजनीति नए सिरे से गर्म हो रही है।