पटना– बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में विपक्षी दलों के महागठबंधन द्वारा बुलाए गए बिहार बंद का व्यापक असर देखने को मिला। राजधानी पटना से लेकर जिलों तक सड़कों पर बंद समर्थकों की जबरदस्त मौजूदगी रही, तो वहीं चुनाव आयोग कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा।
आयोग कार्यालय पहुंचा प्रतिनिधिमंडल?
नहीं। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के अधिकारी सुबह से प्रतिनिधिमंडल के स्वागत की तैयारी में गेट पर इंतजार करते दिखे, लेकिन महागठबंधन का कोई प्रतिनिधि मिलने नहीं पहुंचा। बंद के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पैदल मार्च जरूर हुआ, लेकिन कोई ज्ञापन सौंपने आयोग तक नहीं पहुंचा।
विपक्ष का आरोप
तेजस्वी यादव ने कहा कि यह विशेष पुनरीक्षण गरीब, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को सूची से हटाने की साजिश है।
राहुल गांधी ने मार्च में कहा कि "बिहार में वोट चोरी की तैयारी है, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
प्रशासन सतर्क, बंद शांतिपूर्ण
राज्य भर में प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी। बंद के दौरान कहीं से किसी बड़ी हिंसा की सूचना नहीं मिली, लेकिन सड़कों पर जाम और दुकानों की बंदी ने आम जनजीवन को प्रभावित किया।
आयोग की सफाई
चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि यह रूटीन प्रक्रिया है, जिसमें कोई भी पात्र मतदाता छूटेगा नहीं और किसी का नाम बिना कारण नहीं हटाया जाएगा।