यह बयान राजनीति के दो अहम पहलुओं को एक साथ उजागर करता है सत्ता की महत्वाकांक्षा और जातिगत समीकरणों का संतुलन।


संवाद 

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🗣️ मुकेश सहनी का बयान: मुख्य बातें

1. "महागठबंधन की सरकार बनी तो डिप्टी सीएम बनूंगा"
➤ यह बयान साफ करता है कि मुकेश सहनी खुद को अब सिर्फ एक सहयोगी नहीं, मुख्य किंगमेकर की भूमिका में देख रहे हैं।
➤ वे अपने राजनीतिक वजन को महागठबंधन में ज़ाहिर करना चाहते हैं।


2. "कर्पूरी ठाकुर के बाद कोई अति पिछड़ा लीडर नहीं उभरा"
➤ इससे वे खुद को अति पिछड़ा वर्ग (EBC) के नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं।
➤ यह जातिगत प्रतिनिधित्व की राजनीति का हिस्सा है, जो बिहार की चुनावी राजनीति में बहुत अहम भूमिका निभाता है।


3. "पीएम मोदी ने निषाद जाति को आरक्षण दिया, उनके लिए जान भी दे देंगे"
➤ यह दोहरे राजनीतिक संतुलन की कोशिश है:

महागठबंधन में रहकर डिप्टी सीएम की दावेदारी।

लेकिन पीएम मोदी की निषाद समाज के लिए की गई पहल पर समर्थन।





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🎯 राजनीतिक विश्लेषण

मुकेश सहनी की यह रणनीति उन्हें दोनों पक्षों के करीब बनाए रखने की कोशिश लगती है — ताकि चुनाव बाद जो भी सत्ता में आए, वो अहम किरदार निभा सकें।

लेकिन एक साथ महागठबंधन का समर्थन और मोदी को समर्थन — यह राजनीतिक दुविधा की ओर भी इशारा करता है।



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📌 निष्कर्ष

मुकेश सहनी ने यह साफ कर दिया है कि:

वे 2025 चुनाव के बाद डिप्टी सीएम पद के प्रबल दावेदार बनना चाहते हैं।

निषाद समाज की राजनीति को केंद्र में लाकर वे अति पिछड़ा वोट बैंक को मजबूत करने में लगे हैं।

अब देखना यह है कि महागठबंधन और भाजपा — दोनों में से कौन उनके इस पॉलिटिकल बैलेंसिंग एक्ट को स्वीकार करता है।



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