बिहार की सहकारिता राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ है। भाजपा नेता विशाल सिंह ने बिस्कोमान (बिहार स्टेट कोऑपरेटिव मार्केटिंग यूनियन) के चुनाव में 21 वर्षों से काबिज राजद नेता सुनील सिंह के परिवार को बाहर का रास्ता दिखा दिया। विशाल सिंह ने चुनाव में सुनील सिंह की पत्नी वंदना सिंह को शिकस्त देकर बिस्कोमान के नए अध्यक्ष के रूप में जीत दर्ज की।
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🔹 कौन हैं विशाल सिंह?
विशाल सिंह भाजपा के सक्रिय नेता हैं और सहकारिता के दिग्गज रहे पूर्व नेता अजित सिंह के बेटे हैं। उन्होंने इस चुनाव को राजनीतिक व पारिवारिक वर्चस्व के खिलाफ लड़ाई बताया था।
> “यह जीत सहकारिता को परिवारवाद से मुक्त करने की दिशा में जनमत है,” — विशाल सिंह
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🔸 राजद का 21 साल पुराना किला ध्वस्त
राजद नेता सुनील सिंह लगातार दो दशकों से बिस्कोमान पर प्रभावी रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने खुद मैदान में उतरने के बजाय अपनी पत्नी वंदना सिंह को उम्मीदवार बनाया, जिन्हें भाजपा के विशाल सिंह ने हराकर बड़ी राजनीतिक चोट दी।
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🗳️ चुनाव का महत्व
बिस्कोमान न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की सहकारी संस्थाओं में प्रतिष्ठित संस्था मानी जाती है। इसका अध्यक्ष बनना राजनीतिक रसूख और प्रशासनिक नियंत्रण दोनों का प्रतीक होता है।
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⚖️ भविष्य की राजनीति पर असर
विशाल सिंह की यह जीत न सिर्फ भाजपा के लिए मनोबल बढ़ाने वाली है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि राजद के परंपरागत वर्चस्व वाले क्षेत्रों में भी बदलाव की बयार चल पड़ी है।