बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन ने सियासी मोर्चा तेज कर दिया है। शुक्रवार को हुई महागठबंधन की अहम बैठक में नेताओं ने चुनाव आयोग पर सीधा हमला बोला और कहा कि आयोग का 74% फॉर्म जमा होने का दावा पूरी तरह गलत है।
🔴 महागठबंधन का आरोप:
चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के तहत 74% फॉर्म जमा हो चुके हैं,
लेकिन महागठबंधन के नेताओं ने इसे झूठा और भ्रामक बताया है।
महागठबंधन के अनुसार, आयोग एनडीए सरकार के दबाव में काम कर रहा है और राज्य में चुनाव से पहले मतदाता सूची से गरीब, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के नाम हटाने की साजिश रची जा रही है।
🗣️ नेताओं की प्रतिक्रिया:
तेजस्वी यादव ने कहा: "एनडीए सरकार महागठबंधन से डर गई है, इसलिए आयोग का सहारा लेकर वोट कटवाने का षड्यंत्र कर रही है।"
राजद, कांग्रेस, और वाम दलों के नेताओं ने एक स्वर में यह भी कहा कि आयोग का काम निष्पक्ष होना चाहिए, लेकिन यह सरकार के इशारे पर काम कर रहा है।
📌 क्यों अहम है यह बैठक?
विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट बंटवारे और रणनीति को लेकर बातचीत शुरू हो गई है।
महागठबंधन ने यह भी साफ कर दिया कि वे चुनाव आयोग के रवैये के खिलाफ आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।
बिहार की राजनीति में यह आरोप-प्रत्यारोप एक नए सियासी संग्राम की आहट दे रहा है।