बिहार में बिजली की मांग और खपत में जबरदस्त इजाफा दर्ज किया गया है। बीते 20 वर्षों में राज्य की बिजली खपत में लगभग 12 गुना की वृद्धि हुई है।
वर्ष 2005 में जहां राज्य की अधिकतम बिजली खपत 700 मेगावाट के आसपास हुआ करती थी,
वहीं 2025 के जून महीने में यह आंकड़ा बढ़कर 8428 मेगावाट तक पहुंच गया।
🔌 क्या हैं बिजली खपत बढ़ने के कारण?
बिजली कनेक्शन का विस्तार: गांव-गांव तक बिजली पहुंची है। हर घर बिजली योजना से बड़ी संख्या में घरों को जोड़ा गया।
औद्योगिक और शहरीकरण विकास: छोटे-बड़े उद्योग, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में बिजली की मांग बढ़ी है।
कृषि में बिजली पर निर्भरता: ट्यूबवेल और कृषि पंप सेटों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ी है।
घरेलू उपकरणों का उपयोग: पंखे, कूलर, एसी, टीवी, फ्रिज जैसे उपकरणों के बढ़ते प्रयोग ने घरेलू बिजली खपत को कई गुना बढ़ाया।
⚡ भविष्य की तैयारी
बिजली विभाग का दावा है कि आने वाले वर्षों में:
10 हजार मेगावाट से अधिक खपत की तैयारी की जा रही है।
ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को भी मजबूत किया जा रहा है।
बिहार में बिजली की खपत में यह तेजी बताती है कि राज्य अब ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है, साथ ही विकास की रफ्तार भी लगातार तेज हो रही है।