बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि अगर सिर्फ 1% मतदाताओं का भी नाम वोटर लिस्ट से कट गया, तो चुनाव परिणामों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
क्या है तेजस्वी यादव का 1% वोट वाला डर?
बिहार में कुल 7.90 करोड़ मतदाता हैं।
अगर 1% मतदाता भी वोटर लिस्ट से हटते हैं, तो करीब 7.9 लाख वोट कट सकते हैं।
तेजस्वी के मुताबिक, अगर औसतन हर विधानसभा सीट पर देखें तो:
> 7.9 लाख ÷ 243 विधानसभा सीट = करीब 3250 वोट प्रति सीट
2020 विधानसभा चुनाव की मिसाल
तेजस्वी ने उदाहरण देते हुए कहा कि:
2020 के विधानसभा चुनाव में 35 सीटों पर जीत-हार का अंतर 3,000 से भी कम वोटों का था।
यानी अगर 1% मतदाता हटते हैं, तो उन सीटों पर परिणाम उलट भी सकते हैं।
क्या है तेजस्वी की आपत्ति?
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बिहार में SIR को लेकर सवाल।
तेजस्वी का आरोप है कि यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण तरीके से लागू हो रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य के बाहर रहने वाले लोगों के पते व आधार को आधार बनाकर नाम काटे जा रहे हैं।
उन्होंने अपनी पत्नी राजश्री यादव का उदाहरण दिया, जिनका पता बिहार से बाहर का है।
निष्कर्ष:
तेजस्वी यादव का 1% वोट वाला डर केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि बहुमत की राजनीति में छोटी संख्या के बड़े असर की ओर इशारा है। अगर मतदाता सूची में भूल या जानबूझकर छेड़छाड़ हुई, तो चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो सकते हैं।