बिहार की कुटुंबा विधानसभा सीट इन दिनों राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बनी हुई है। वजह है यहां से लगातार दो बार विधायक रहे राजेश राम का हाल ही में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाना। इस फैसले के बाद न केवल उनका सियासी कद बढ़ा है, बल्कि आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका और दावेदारी भी और मजबूत हो गई है।
लगातार दो बार जीते चुनाव:
राजेश राम ने पिछली दो विधानसभाओं में कुटुंबा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। उनका क्षेत्र में अच्छा जनाधार है और दलित-वंचित वर्ग में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।
कांग्रेस की नई उम्मीद:
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस को उम्मीद है कि राजेश राम राज्य स्तर पर संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ अपनी सीट पर भी हैट्रिक जीत हासिल करेंगे। पार्टी के लिए यह सीट अब एक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है।
क्या कहता है समीकरण?
कुटुंबा क्षेत्र में जातीय समीकरण, कांग्रेस की जमीनी पकड़, और राजेश राम की व्यक्तिगत छवि तीनों उनके पक्ष में नजर आ रहे हैं। हालांकि, एनडीए और महागठबंधन के भीतर सीटों के तालमेल और उम्मीदवार चयन से मुकाबला रोचक हो सकता है।
विपक्ष की तैयारी:
एनडीए भी इस सीट पर नया और प्रभावशाली चेहरा उतारने की रणनीति बना रहा है, जिससे मुकाबला सीधे और कड़ा हो जाए। यहां दलित और ओबीसी मतदाताओं की भूमिका निर्णायक होगी।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मिली नई जिम्मेदारी, राजेश राम को कुटुंबा में तीसरी बार जीत दिलाने में कितनी मददगार साबित होती है।