पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सुमित कुमार सिंह के सामने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है। वहीं, महागठबंधन के लिए यह सीट अपने पुराने इतिहास को दोहराने की कसौटी मानी जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, शुरुआती चुनावों में यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित थी। लेकिन 1967 में इसे सामान्य सीट घोषित कर दिया गया। इसके बाद से इस सीट पर कई बार राजनीतिक समीकरण बदले और अलग-अलग दलों का वर्चस्व देखने को मिला।
सुमित कुमार सिंह ने पिछली बार इस सीट पर मजबूत पकड़ बनाई थी और अब लगातार तीसरी जीत के लिए मैदान में उतर रहे हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन इस सीट पर फिर से अपनी पकड़ मजबूत करने और पुराने समीकरण दोहराने की कोशिश में है।
चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि यह सीट इस बार सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बनने वाली है।
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